लातूर बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति ताहिलरमणि के स्थानांतरण का विरोध किया, नहीं किया काम

Update: 2019-09-14 06:09 GMT

लातुर जिला बार एसोसिएशन के 1800 से अधिक अधिवक्ताओं, लातूर और अन्य बार संघों ने शुक्रवार को मद्रास की पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरामनी के मेघालय उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के विरोध में किसी भी न्यायिक कार्य में भाग लेने से इनकार कर दिया।

लातूर बार एसोसिएशन ने रजिस्ट्रार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारत के राष्ट्रपति को 11 सितंबर को एक "लेटर ऑफ प्रोटेस्ट" लिखा, जिसमें कहा गया था-

"जिस तरह से माननीय न्यायमूर्ति वीके ताहिलरामनी को देश के चार्टर उच्च न्यायालयों में से एक से अपेक्षाकृत छोटे हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया था। इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठे, खासकर जब न्यायमूर्ति वीके ताहिलरमानी सितंबर 2020 को सेवानिवृत्त होने वाली थीं। माय लॉर्ड, न्याय के बेहतर प्रशासन के नाम पर उक्त स्थानांतरण में अनुग्रह की कमी थी, और जो भी कारण हो, यह अपमानजनक है"

न्यायमूर्ति ताहिलरामनी का जन्म 3 अक्टूबर 1958 को लातूर में हुआ था। उन्हें 26 जून, 2001 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उन्हें 20 जुलाई, 2018 को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया था।

लाइव लॉ से बात करते हुए, लातूर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट उदय गावरे ने पुष्टि की कि जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों के अलावा अन्य बार संघों के अधिवक्ता, लातूर के अधिवक्ताओं ने कहा कि "निंदनीय" स्थानांतरण के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहे।

न्यायमूर्ति ताहिलरामनी ने स्थानांतरण के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने छह मद्रास हाईकोर्ट न्यायाधीशों द्वारा आयोजित रात्रि भोज के दौरान अपने इरादों को सार्वजनिक किया था।

CJI रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, एनवी रमना, अरुण मिश्रा और आरएफ नरीमन से जुड़े कॉलेजियम ने 28 अगस्त को किए गए ट्रांसफर प्रस्ताव पर पुनर्विचार के अनुरोध को खारिज कर दिया था। 



Tags:    

Similar News