शपथ से 15 मिनट पहले कभी दखल नहीं दिया': SC ने कर्नाटक के जिला जज की ' जूनियर जज को हाईकोर्ट जज बनाने के खिलाफ याचिका खारिज की

Update: 2020-05-04 06:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के एक प्रमुख  जिला और सेशन जज की उस याचिका को खारिज कर दिया है , जिसमें "जूनियर जज" को कर्नाटक उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त करने को चुनौती दी गई थी। ये याचिका शपथग्रहण के 15 मिनट पहले खारिज हुई।

जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की दो जजों की पीठ ने 30 अप्रैल के राष्ट्रपति के आदेश को रद्द करने की याचिका पर सोमवार की सुबह सुनवाई की और कहा, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस एससी ने कहा,

"आप ग्यारहवें घंटे में देरी से आए हैं ... शपथ ग्रहण में केवल 15 मिनट बचे हैं ... और अदालत ने इस तरह से कभी आदेश पारित नहीं किया है और शपथ से 15 मिनट पहले दखल नहीं दिया है।"

दरअसल प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश श्री मास्टर आरकेजीएम महास्वामीजी ने अपने जूनियर जज पद्मराज नेमाचंद्र देसाई को जिला न्यायपालिका से दो साल की अवधि के लिए उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने को "मनमाना, असंवैधानिक और गैरकानूनी" बताया था जबकि सुप्रीम कोर्ट

कॉलेजियम ने इसकी मंजूरी दे दी थी और एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया था।

गौरतलब है कि 30 अप्रैल को, कानून मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर न्यायिक अधिकारी शिवशंकर अमरनवर, एम गणेशैया उमा, वेदव्याचार श्रीशानंद, एच संजीवकुमार और पद्मराज नेमाचंद्र देसाई को दो साल की अवधि के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया।

वकील संजय एम नुली के माध्यम से दायर रिट याचिका में, प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीश श्री मास्टर आरकेजीएमएम महास्वामीजी ने तर्क दिया कि जूनियर जज को पदोन्नत करने का प्रस्ताव "मौजूदा बाध्यकारी कार्यपालिका के निर्देशों की पूरी अवहेलना" में है।

जज ने दावा किया था कि उनकी उम्मीदवारी को नजरअंदाज कर दिया गया और उनके बैच के साथियों पर पदोन्नति या उन्नयन के लिए ध्यान नहीं दिया गया। न्यायाधीश ने आगे कहा कि उनके सेवा रिकॉर्ड में कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं है।

याचिकाकर्ता का दावा था कि पद्मराज नेमाचंद्र देसाई के अलावा, जो चार अन्य अधिकारी जो पदोन्नत किए जा रहे हैं , वे या तो बैच मेट हैं या याचिकाकर्ता से वरिष्ठ हैं।

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