सुप्रीम कोर्ट ने PoP मूर्ति विसर्जन की अनुमति देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों पर नोटिस जारी किया

Update: 2025-09-04 11:32 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उन अंतरिम आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिनमें धार्मिक उत्सवों के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) से बनी मूर्तियों के निर्माण और विसर्जन की अनुमति दी गई।

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 9 जून, 2025 को दिए आदेश में अपने ही जनवरी, 2025 के आदेश में संशोधन करते हुए PoP मूर्तियों के निर्माण की अनुमति दी थी।

अदालत ने यह शर्त रखी थी कि ऐसी मूर्तियों का प्राकृतिक जल स्रोतों में विसर्जन केवल कोर्ट की अनुमति से ही किया जा सकेगा।

इसके बाद 24 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की मूर्ति विसर्जन नीति को मार्च, 2026 तक जारी रखने की अनुमति दी और मूर्तियों की अधिकतम ऊंचाई पांच फीट से बढ़ाकर छह फीट कर दी।

याचिकाकर्ता रोहित मनोहर जोशी की ओर से एडवोकेट श्रृष्टि मल्होत्रा ने दाखिल याचिका में दलील दी कि हाईकोर्ट के ये आदेश पर्यावरण संरक्षण के लिए बने नियमों को दरकिनार कर देंगे और महाराष्ट्र के प्राकृतिक जल स्रोतों को अपूरणीय क्षति पहुचायेंगे। 

याचिका में कहा गया कि PoP मूर्तियों के विसर्जन पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की 12 मई, 2020 की संशोधित गाइडलाइंस के तहत स्पष्ट रोक है, जिन्हें जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 16 के तहत जारी किया गया था।

इन दिशानिर्देशों को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT), विभिन्न हाईकोर्ट और स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने बाध्यकारी माना है।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट ने सीपीसीबी के प्रतिनिधियों के मौखिक बयान के आधार पर यह मान लिया कि गाइडलाइंस बाध्यकारी नहीं हैं, जबकि न तो कोई शपथपत्र दाखिल किया गया और न ही दिशानिर्देशों में औपचारिक संशोधन हुआ। 

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक लगाई जाए और पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित होने वाली PoP मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए।

मामले की अगली सुनवाई चार हफ्तों बाद होगी।

केस टाइटल : रोहित मनोहर जोशी बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य

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