JNU में देशद्रोह का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में गाइडलाइन बनाने की याचिका खारिज की
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट को दिल्ली सरकार द्वारा अनुमति ना दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग की इस याचिका में प्रभावशाली लोगों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए दिशा- निर्देश जारी करने का अनुरोध भी किया गया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा , " ऐसे सभी मामलों में सामान्य आदेश जारी नहीं किए जा सकते। ये आदेश केवल विशिष्ट मामलों में ही पारित किए जा सकते हैं।"
पीठ ने कन्हैया कुमार के मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि वो इस मामले में दखल नहीं देगा।
याचिका में कन्हैया कुमार से जुड़े देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिलने से होने वाली देरी पर कोर्ट से दिशा निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि इस मामले में और देरी न हो।
याचिका में कहा गया था कि इस तरह के मामलों में जिनमें प्रभावशाली लोग शामिल हैं या फिर किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए लोग शामिल हैं, उसमें सुनवाई के लिए एक तय समय सीमा के भीतर निर्धारित करने के लिए कोर्ट की तरफ से दिशा निर्देश दिए जाएं।
दरअसल दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा 124ए लगाई है।लेकिन कोर्ट सीआरपीसी की धारा 196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिलेगी। मामले में पटियाला हाउस अदालत भी दिल्ली सरकार को फटकार लगा चुकी है।
गौरतलब है कि जेएनयू में 9 फरवरी 2016 को भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस कोर्ट में 1200 पन्नों की चार्जशीट दायर दी थी। इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान के अलावा सात कश्मीरियों को भी देशद्रोह का आरोपी बनाया गया है।इन सभी कश्मीरी छात्रों से भी पूछताछ की जा चुकी है लेकिन इन्हें बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट किया गया है। इनके खिलाफ चार्जशीट में 124A (देशद्रोह), 323, 465, 471, 143, 149, 147, 120B जैसी धाराएं लगाई गई हैं।