कोरोना : जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पैनल के गठन का निर्देश दिया

Update: 2020-03-23 09:17 GMT

कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में कैदियों की संख्या को कम करने के लिए राज्यों से उन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने के लिए विचार करने पर कहा है जो अधिकतम 7 साल की सजा काट रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने राज्य सरकारों को उच्च शक्ति समिति का गठन करने को कहा है जो यह निर्धारित करेगी कि कौन सी श्रेणी के अपराधियों को या मुकदमों के तहत पैरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्यों द्वारा दाखिल हलफनामों को देखने और अमिक्स क्यूरी दुष्यंत दवे व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए सुझावों के बाद शीर्ष अदालत ने राज्यों को एक पैनल गठित करने और कैदियों से संबंधित निर्णय लेने का निर्देश दिया।

इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तिहाड़ जेल के बारे में अदालत को बताया और कहा कि कैदियों से मुलाकात रद्द कर दी गई हैं, लेकिन कैदी फोन पर अपने परिजनों से बात कर सकते हैं। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि जेलों के अंदर पर्याप्त संख्या में अस्पताल उपलब्ध हैं। शाम को जेल परिसर में योग, और अन्य गतिविधियां की जाती हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि योग को रोकना नहीं चाहिए, "इन सभी गतिविधियों को बंद न करें। कुछ भी ऐसा न करें जिससे भय पैदा हो।"

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनज़र देश भर की जेलों में बंद कैदियों की चिकित्सा सहायता के लिए स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है।

16 मार्च को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, महानिदेशकों (कारागार) और सभी राज्यों के सामाजिक कल्याण मंत्रालयों को नोटिस जारी किया और पूछा था कि वे क्या कदम उठा रहे हैं। पीठ ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे को अमिक्स क्यूरी भी नियुक्त किया है।

अचानक मामले पर संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, " जेलों में भीड़भाड़ बहुत रहती है। ऐसे में जेलों में क्या हालात हैं ? यदि जेल में कोरोना वायरस प्रकोप होता है, तो यह बहुत बड़ी संख्या को प्रभावित करेगा और यह कोरोना वायरस फैलाने का केंद्र बन सकता है।"

पीठ ने कहा, " क्या हम इस हालात को देखते हुए जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने और जेलों की क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं ?

कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि तिहाड़ जेल जैसी जेलों में भीड़भाड़ को रोकने की कोशिश की जा रही है और अगर किसी व्यक्ति में कोई लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें COVID-19 के परीक्षण के लिए अलग कर दिया जाएगा। तिहाड़ में, एक वार्ड में 40-50 लोगों के कई बैरक हैं। इसलिए, 300-400 लोगों के प्रत्येक वार्ड हैं। 

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