AI से बनी सामग्री पर लेबलिंग अनिवार्य: सरकार ने IT नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा बनाई गई सामग्री की स्पष्ट लेबलिंग को अनिवार्य बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया।
इस महत्वपूर्ण कदम का मुख्य उद्देश्य डीपफेक और भ्रामक जानकारी के प्रसार पर लगाम लगाना है। साथ ही फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जवाबदेही को बढ़ाना भी है।
MeitY ने गंभीर चेतावनी दी कि सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली डीपफेक ऑडियो-वीडियो सामग्री और धोखेबाज सामग्री से व्यक्तियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है, चुनावों को प्रभावित किया जा सकता है। यहाँ तक कि वित्तीय धोखाधड़ी भी हो सकती है, जिससे समाज को गंभीर नुकसान हो सकता है।
'सिंथेटिक रूप से जेनरेटेड जानकारी' पर कड़ा नियंत्रण
प्रस्तावित संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में किए गए। इन मसौदा नियमों में "सिंथेटिक रूप से जेनरेटेड जानकारी" की एक नई अवधारणा पेश की गई, जो ऐसी सामग्री को संदर्भित करती है, जिसे कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके कृत्रिम या एल्गोरिथम रूप से बनाया, संशोधित या बदला गया हो और वह प्रामाणिक या सत्य प्रतीत होती हो। इस पहल से डीपफेक और एआई-जनरेटेड सामग्री को IT नियमों के तहत इंटरमीडियरीज के दायित्व के दायरे में लाया जा सकेगा।
मसौदा ढाँचे के अनुसार सिंथेटिक सामग्री बनाने या संशोधित करने के डिवाइस प्रदान करने वाले इंटरमीडियरीज को ऐसी जानकारी को स्पष्ट रूप से लेबल करना होगा या एक अद्वितीय मेटाडेटा एम्बेड करना होगा, जो उसकी कृत्रिम प्रकृति को उजागर करे।
विज़ुअल सामग्री के लिए लेबल को प्रदर्शन सतह के कम से कम 10% हिस्से पर दिखाई देना चाहिए, जबकि ऑडियो के मामले में इसकी घोषणा अवधि के कम से कम 10% के दौरान की जानी चाहिए।
इंटरमीडियरीज को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इन लेबल या मेटाडेटा को किसी भी हाल में हटाया या छुपाया न जा सके।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अतिरिक्त जवाबदेही
X, मेटा या यूट्यूब जैसे महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज (SSMIs) के लिए कुछ अतिरिक्त दायित्व प्रस्तावित किए गए। इन प्लेटफॉर्मों को सामग्री अपलोड करते समय यूजर्स से यह घोषणा प्राप्त करनी होगी कि क्या प्रकाशित की जा रही सामग्री सिंथेटिक रूप से जेनरेट की गई है।
इसके साथ ही उन्हें ऐसी घोषणाओं को सत्यापित करने के लिए स्वचालित डिवाइस सहित उचित और उपयुक्त तकनीकी उपायों का उपयोग करना होगा।
इसके अलावा, यदि कोई सामग्री सिंथेटिक पाई जाती है तो प्लेटफॉर्म को प्रमुखता से एक लेबल या नोटिस प्रदर्शित करना होगा जो यह बताए कि यह एल्गोरिथम द्वारा बनाई गई।
मसौदा नियम यह भी स्पष्ट करते हैं कि यदि इंटरमीडियरीज जानबूझकर सिंथेटिक रूप से जेनरेट की गई सामग्री को प्रकाशित करने की अनुमति देते हैं बढ़ावा देते हैं या ऐसी सामग्री के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, जो उपयोगकर्ताओं को गुमराह या धोखा देती है तो उन्हें अपने उचित सावधानी दायित्वों का उल्लंघनकर्ता माना जाएगा।
सार्वजनिक परामर्श
'सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2025' शीर्षक वाला यह मसौदा अंतिम अधिसूचना से पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए खोला गया।
मंत्रालय ने 6 नवंबर तक itrules.consultation@meity.gov.in पर हितधारकों और आम जनता से प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। एक बार अनुमोदित होने के बाद इन संशोधनों के लिए सामग्री निर्माण डिवाइस और सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज दोनों को पारदर्शिता और प्रामाणिकता के नए मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रणालियों और नीतियों को अपडेट करना होगा।