IIT JEE Mains 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने पहले और दूसरे सत्र में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अतिरिक्त प्रयास की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया

Update: 2022-08-26 08:24 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को पहले और दूसरे दोनों सत्र में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण आईआईटी-जेईई मेन्स परीक्षा 2022 के अतिरिक्त सत्र आयोजित करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार किया।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले पर विचार करने के लिए अनिच्छा व्यक्त करने के बाद याचिकाकर्ताओं ने याचिका वापस लेने का फैसला किया।

पीठ ने कहा कि रविवार को होने वाली IIT-JEE (एडवांस्ड) परीक्षा में वह हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा,

"परीक्षा रविवार को होने दें। हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट शोएब आलम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जून में आयोजित परीक्षा के पहले सत्र में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कठिनाइयों का अनुभव करने के बाद 15 छात्रों को IIT-JEE (Mains) परीक्षा के अतिरिक्त सत्र में भाग लेने की अनुमति दी थी।

हालांकि, बेंच ने देर से चरण में हस्तक्षेप करने में कठिनाई व्यक्त की जब एडवांस्ड परीक्षा दो दिनों के बाद होने वाली है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा,

"कुछ फाइनल होने दें। आप याचिका दायर करके भी छात्रों की चिंता बढ़ा रहे हैं।"

याचिकाओं में उन उम्मीदवारों की शिकायतों को सामने रखा गया था जो इन सत्रों में उपस्थित हुए थे और तकनीकी गड़बड़ियों का सामना किए गए थे। उनका दावा है कि इससे उनके प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

याचिकाओं में उम्मीदवारों के मुद्दे इस प्रकार हैं,

1. परीक्षा के प्रश्न शुरू में स्क्रीन पर नहीं दिखाई दिए, और रुक-रुक कर गायब हो रहे थे और फिर से दिखाई दे रहे थे।

2. अगले प्रश्न पर जाने के विकल्प आदि ने रुक-रुक कर काम किया और फिर काम करना बंद कर दिया।

3. खाली स्क्रीन या फ्रोजन स्क्रीन और सॉफ्टवेयर क्रैश हुए थे।

4. निरीक्षक गड़बड़ियों को हल करने में मदद करने में असमर्थ रहे।

5. चिह्नित विकल्पों की तुलना में अंतिम स्कोर में विसंगति।

याचिकाओं में कहा गया है कि भले ही जून 2022 से एनटीए को कई अभ्यावेदन दिए गए हों, लेकिन उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। परीक्षण एजेंसी एक सार्वजनिक नोटिस के साथ नहीं आई है जिसमें आवेदकों को सूचित किया गया है कि जेईई मेन्स प्रथम सत्र फिर से आयोजित किया जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि केवल 08.07.2022 को एनटीए द्वारा विसंगतियों को नोट किया गया था।

इसके बाद, 18.07.2022 को, कुछ याचिकाकर्ताओं ने तकनीकी गड़बड़ियों के बारे में शिकायत करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और 29.07.2022 को उक्त मामले में केवल याचिकाकर्ताओं को राहत दी गई थी।

28.07.2022 को, एनटीए ने कुछ चयनित उम्मीदवारों को ई-मेल के माध्यम से अवगत कराया कि उन्हें 30.07.2022 को आयोजित होने वाले अतिरिक्त सत्र के लिए उपस्थित होने की अनुमति दी जाएगी। याचिका के मुताबिक पुन: प्रयास करने की अनुमति देना वास्तव में एक स्वीकार है कि तकनीकी गड़बड़ियों ने वास्तव में जून 2022 में हुए पहले सत्र को प्रभावित किया था। याचिका में कहा गया है कि मनमाना तरीका अपनाया गया है जिसमें एनटीए द्वारा चयनित कुछ लोगों को परीक्षा फिर से देने का अवसर दिया गया था।

दूसरा सत्र जो जुलाई 2022 में हुआ था, उसका भी यही हाल हुआ था। तदनुसार, एनटीए को अभ्यावेदन किए गए थे। दूसरे सत्र के परिणाम अंतिम रैंकिंग सूची के साथ जारी किए गए और अंतिम स्कोर में विसंगतियां प्रतीत होती हैं। उम्मीदवारों द्वारा चिह्नित उत्तर अंतिम उत्तर पुस्तिका से मेल नहीं खा रहे थे।

याचिकाएं इस तथ्य पर ध्यान देती हैं कि यूजीसी-नेट परीक्षा के संबंध में जब एनटीए को पता चला कि परीक्षा तंत्र की सुरक्षा के लिए सुरक्षा पैच की स्थापना के कारण तकनीकी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, तो उन्होंने उक्त परीक्षा को फिर से अधिसूचित किया था। जेईई मेन्स के उम्मीदवारों को ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।

याचिकाएं एडवोकेट सुमंत नुकाला के माध्यम से दायर की गई हैं।

बता दें, इसी तरह के एक मामले में गुरूवार को कुछ आवेदक ने एडवोकेट इलिन सारस्वत के माध्यम से (आईएएस के माध्यम से) सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह कहते हुए किसी भी आवेदन या किसी रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही आईआईटी जेईई मामले का संज्ञान लिया है तो हम सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने का यह विशेष विशेषाधिकार नहीं दे सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आवेदक और याचिकाकर्ता इस मुद्दे के लिए हाईकोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

केस टाइटल : एस हाइमावती एंड अन्य बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी एंड अन्य| एसएलपी (सी) 14546/2022, इशिका शरद गजभिये एंड अन्य बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी एंड अन्य [डब्ल्यूपी (सी) 661/2022]

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