"अगर सभी राजनीतिक मुद्दों को हम सुनेंगे तो राजनीतिक प्रतिनिधि किसलिए चुने जाते हैं?" सीजेआई रमाना

Update: 2022-04-07 08:30 GMT

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमाना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी सभी याचिकाएं 'अंडर द सन' दायर की जा रही हैं, जिन मुद्दों को कोर्ट में लाने के बजाए सरकार के सामने रखना चाहिए।

उन्होंने गुरुवार को सरकार से राहत की मांग के बजाय अदालत के समक्ष दायर राजनीतिक मुद्दों पर याचिकाओं पर नाराजगी व्यक्त की।

एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय द्वारा अवैध अप्रवासियों के निर्वासन की मांग वाली एक जनहित याचिका की तत्काल सूची के लिए अनुरोध के बाद सीजेआई ने टिप्पणी की,

"उपाध्याय जी, हर रोज मुझे केवल आपका मामला सुनना है- संसद सदस्य मुद्दा, नामांकन मुद्दा, चुनाव सुधार आदि मुद्दे। ये सभी राजनीतिक मुद्दे हैं, आप सरकार के पास जाएं।"

सीजेआई ने आगे कहा,

"अगर मैं सहमत हूं कि आपके सभी मामलों को उठाया जाना है और जो आदेश मांगे गए हैं उन्हें पारित किया जाना है तो राजनीतिक प्रतिनिधि किस उद्देश्य के लिए चुने गए हैं? हमारे पास बिल पारित करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा हैं?"

एडवोकेट उपाध्याय ने सीजेआई की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 32 केवल इसी उद्देश्य के लिए मौजूद है।

बेंच ने टिप्पणी की,

"कानून बनाने के लिए?"

सीजेआई रमाना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के समक्ष उपाध्याय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा,

"पांच करोड़ अवैध अप्रवासी हमारे आजीविका के अधिकार छीन रहे हैं। याचिका में अवैध अप्रवासियों का पता लगाने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का प्रयास किए जाने की मांग की गई है। सभी राज्यों को नोटिस जारी किए जाए।"

कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल को संबोधित करते हुए बेंच ने कहा कि अगर केंद्र काउंटर जवाब के साथ तैयार है तो मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।

उपाध्याय द्वारा 2017 में दायर जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को एक साल के भीतर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं सहित सभी अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

अवैध अप्रवास और घुसपैठ को संज्ञेय गैर-जमानती और गैर-शमनीय अपराध बनाने के लिए संबंधित कानूनों में संशोधन करने के लिए और निर्देश मांगे गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार को जाली पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड और वोटर कार्ड और ऐसे अन्य दस्तावेजों को गैर-जमानती, गैर-यौगिक और संज्ञेय अपराध घोषित करने और संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, अवैध अप्रवासियों और घुसपैठियों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से पैन कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट और वोटर कार्ड प्रदान करने वाले ट्रैवल एजेंटों, सरकारी कर्मचारियों और अन्य ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए निर्देश जारी किए जाने चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

केस शीर्षक: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य

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