देश में नौकरशाही और पुलिस अधिकारी जैसे व्यवहार कर रहे हैं, उस पर मुझे बहुत आपत्तियां है: सीजेआई रमाना
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने शुक्रवार को देश में नौकरशाही विशेषकर पुलिस अधिकारियों के व्यवहार पर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मुझे इस बात पर बहुत आपत्ति है कि नौकरशाही कैसे विशेष रूप से इस देश में पुलिस अधिकारी कैसे व्यवहार कर रहे हैं!"
सीजेआई रमाना ने कहा कि उन्होंने नौकरशाहों विशेषकर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज शिकायतों की जांच के लिए एक स्थायी समिति गठित करने पर विचार किया था।
उन्होंने कहा, "मैं एक बार नौकरशाहों, विशेष रूप से पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए एक स्थायी समिति बनाने के बारे में विचार कर रहा था। मैं इसे सुरक्षित रखना चाहता हूं, अब मैं ऐसा नहीं करना चाहता।"
सीजेआई रमाना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में सुरक्षा की मांग की थी।
सीजेआई ने पुलिस अधिकारियों द्वारा सत्ताधारी पार्टी के साथ दिखने के नए चलन पर भी टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, "देश में स्थिति दुखद है। जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में होता है तो पुलिस अधिकारी एक विशेष दल के साथ होते हैं। फिर जब कोई नई पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करती है। यह एक नया चलन है, जिसे रोकने की जरूरत है।"
एडीजी के खिलाफ जबरन वसूली के एक मामले के संबंध में सीजेआई ने कहा था, "आपने पैसा ऐठना शुरू कर दिया है क्योंकि आप सरकार के करीबी हैं, यही होता है यदि आप सरकार के करीबी हैं और इस प्रकार की चीजें करते हैं, तो आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा, ठीक ऐसा ही हो रहा है।"
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई हैं , जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ रंगदारी और देशद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया गया है।
राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 29 जून को प्राथमिकी दर्ज की थी।
एक जुलाई, 2021 को, याचिकाकर्ता के आवास पर पुलिस ने छापा मारा और उन्हें कथित तौर पर याचिकाकर्ता के घर के पीछे एक नाले में कागज के कुछ टुकड़े मिले थे। उन दस्तावेजों को पुनर्निमित किया गया और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 153 ए के तहत अपराध करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
केस शीर्षकः गुरजिंदर पाल सिंह v. छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य ( SLP Crl 7193/2021)