हिंदू धर्म परिषद ने किसान कानूनों को लागू करने के लिए सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, प्रदर्शनों पर रोक लगाने की मांग
केंद्र और राज्यों को किसान अधिनियम लागू करने और राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा आंदोलन और जुलूसों के खिलाफ नियम और दिशानिर्देश बनाने के की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है।
हिंदू धर्म परिषद द्वारा दायर याचिका में उन आंदोलन और जुलूसों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश भी मांगा गया है, जो मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 की संख्या 20 और उसके बाद किसानों के अधिकार व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 की संख्या 21 के खिलाफ या उसके पक्ष में हैं जब तक कि अदालत अपना फैसला ना सुना दे।
इस संदर्भ में, याचिका में पूरे भारत में किसान अधिनियमों से संबंधित किसी भी बयान या वीडियो के बारे में इलेक्ट्रॉनिक दूरसंचार, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, पोस्टर, बैनर या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण संचार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि अधिनियम किसान समर्थक हैं और कृषि के पक्ष में बनाए गए हैं।
याचिका में कहा गया,
"याचिकाकर्ता कहता है कि मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 की संख्या 20 पर किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और किसान व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 की संख्या 21 कृषि लोगों के हित के लिए और उन्हें गरीबी से बचाने के लिए पेश किए गए हैं। भारत कृषि संकट से गुजर रहा है और जो किसान धरती पर सबसे सार्थक आजीविका में से एक में शामिल हैं, वे अंत तक इसे पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।"
यह कहा गया है कि डेल्टा क्षेत्रों में कई किसानों ने पर्याप्त पानी की कमी के कारण आत्महत्या कर ली है और खड़ी फसल को बचाने में असमर्थता का डर है और ये कानून उनके बचाव में आएंगे।
संगठन इस बात की ओर इशारा करता है कि राजनीतिक लाभ के कारण, अधिनियमों के खिलाफ विरोध उत्पन्न हुआ है,
"यह याचिकाकर्ता कहता है कि भारत के कुछ राज्य मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 की संख्या 20 पर किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और किसान व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 की संख्या 21 का राजनीतिक लाभ के लिए अपने विधान सभा में बिल को लागू करने का विरोध कर रहे हैं। विधेयक को निष्पादित करने के लिए राज्य सरकार का बाध्य कर्तव्य है, यदि वह संसद में पारित हो जाए।"
इस पृष्ठभूमि में, यह दलील दी गई है कि भारत की संसद के पास कानूनों को लागू करने की व्यापक शक्ति है और एक बार, कानून लागू हो जाता है और तो केंद्र और राज्य सरकार के कार्यकारी कानून का निष्पादन करेंगे। हालांकि, कुछ राज्यों ने अधिनियमों को लागू नहीं करने और लोगों को दंगे और आगजनी के लिए उकसाने का फैसला किया है।
याचिका में आगे कहा गया,
"हर दिन कुछ राष्ट्र विरोधी राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित आगजनी और दंगा भड़काया जा रहा है और सरकार को धमकी दी जा रही है और आतंकी तरीके से इसका इस्तेमाल कर रहा है कि यदि वो भारतीय लोकतंत्र को जारी रखती है तो विधेयक को वापस ले लिया जाए वरना इसकी शक्ति केवल कागजों पर होगी और कोई भी इसे लागू नहीं कर सकता। सरकार को लोहे के हाथ का इस्तेमाल करना होगा और दंगा भड़काने से निपटना होगा।''
याचिका अधिवक्ता नरेंद्र कुमार वर्मा द्वारा दायर की गई है और बेबी देवी बोनिया द्वारा तैयार की गई है।