हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर रद्द करने की याचिका पर कार्रवाई कर सकता है, भले ही इसके लंबित रहने के दौरान आरोप पत्र दायर किया जा चुका हो : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट एफआईआर रद्द कर सकते हैं, भले ही सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका लंबित होने के दौरान आरोप पत्र (Charge Sheet) दायर किया जा चुका हो।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह टिप्पणी की,
"यह अच्छी तरह से स्थापित है कि हाईकोर्ट के पास एफआईआर रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर विचार करने और कार्रवाई करने की शक्ति बनी रहेगी, भले ही ऐसी याचिका के लंबित रहने के दौरान पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर किया जा चुका हो।"
पीठ ने एक महिला द्वारा अपने ससुराल वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए के तहत दर्ज मामले को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि आरोप पत्र दायर होने के बाद एफआईआर रद्द करने की याचिका अब सुनवाई योग्य नहीं है।
पीठ ने कहा कि जोसेफ साल्वाराज ए बनाम गुजरात राज्य और अन्य (2011) 7 एससीसी 59 मामले में यह स्थिति अच्छी तरह से तय हो चुकी है। इस सिद्धांत को आनंद कुमार मोहट्टा और अन्य बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली), गृह विभाग और अन्य [(2019) 11 एससीसी 706 में दोहराया गया था।
गुण-दोष के आधार पर अदालत ने यह देखते हुए एफआईआर रद्द कर दी कि आरोप दूरगामी और असंभव हैं।
केस टाइटल: अभिषेक बनाम मध्य प्रदेश राज्य
साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एससी) 731; 2023INSC779
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