[2002 गुजरात दंगा मामला] हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज की, तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया

Update: 2023-07-01 08:24 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में उच्च सरकारी अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित रूप से फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज राज्य पुलिस की एफआईआर के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका को आज खारिज कर दिया।

जस्टिस निर्जर एस.देसाई की बेंच ने आज फैसला सुनाते हुए उन्हें तुरंत सरेंडर करने का निर्देश दिया। अब तक वह सितंबर 2022 के सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम जमानत आदेश के संचालन के कारण दंडात्मक कार्रवाइयों से सुरक्षित थी।

न्यायालय ने आदेश के क्रियान्वयन पर 30 दिनों के लिए रोक लगाने की सीतलवाड के वकील की प्रार्थना को भी खारिज कर दिया। आदेश की विस्तृत प्रति की प्रतीक्षा है.

सीतलवाड के खिलाफ मामला

सीतलवाड गुजरात दंगों की साजिश के मामले में सबूत गढ़ने और झूठी कार्यवाही शुरू करने के आरोप में एफआईआर का सामना कर रही हैं। गुजरात दंगों में बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाली सीतलवाड की याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद पिछले साल राज्य पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका (जो जून 2022 में खारिज कर दी गई थी) मे सीतलवाड ने जकिया एहसान जाफरी के साथ एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इस रिपोर्ट में राज्य के उच्च पदाधिकारियों और तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों द्वारा गोधरा ट्रेन नरसंहार के बाद 2002 के गुजरात दंगों एक बड़ी साजिश के आरोपों को खारिज कर दिया गया था।

जून 2022 में याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि याचिका "मुद्दे को गरम रखने" के "गुप्त उद्देश्यों" से दायर की गई थी। कोर्ट ने आगे कहा कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि गुजरात के असंतुष्ट अधिकारियों और अन्य लोगों का "एकजुट प्रयास" झूठे सनसनीखेज खुलासे करना था, जिसे गुजरात एसआईटी ने "उजागर" कर दिया।

" आश्चर्यजनक रूप से वर्तमान कार्यवाही पिछले 16 वर्षों से चल रही है... मुद्दे को गर्म रखने, गुप्त योजना के लिए। वास्तव में प्रक्रिया के ऐसे दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कानून के अनुसार कटघरे में खड़ा करने और आगे बढ़ने की आवश्यकता है।"

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में यहां और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों की बड़ी साजिश मामले में जकिया जाफरी की याचिका खारिज की

इन टिप्पणियों के अनुसार, सेवानिवृत्त राज्य डीजीपी आरबी श्रीकुमार, सीतलवाड और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ आपराधिक साजिश, जालसाजी और आईपीसी की अन्य धाराओं के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। संबंधित एफआईआर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बड़े पैमाने पर हवाला दिया गया है।

25 जून को ही गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड को मुंबई स्थित उनके आवास से हिरासत में ले लिया था| उनकी जमानत याचिका 30 जुलाई को अहमदाबाद की एक निचली अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने जुलाई 2022 में गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था।

इसके बाद वह मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट चली गईं। सुप्रीम कोर्ट ने अंततः 2 सितंबर को उन्हें अंतरिम जमानत दे दी, यह देखते हुए कि वह 2 महीने तक हिरासत में थी और जांच मशीनरी को 7 दिनों की अवधि के लिए हिरासत में पूछताछ का लाभ मिला।

इससे पहले 15 नवंबर को गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस समीर जे दवे ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

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