'ग्रीन बेंच': सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने वकीलों से कागज की फाइलें नहीं लाने को कहा

Update: 2022-09-07 07:32 GMT

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि यह एक ग्रीन बेंच होगी और वकीलों से कोई भी कागजात या भौतिक दस्तावेज नहीं लाने को कहा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री और आईटी सेल के अधिकारी शनिवार को वकीलों को तर्क पेश करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण दे सकते हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की 5 जजों की बेंच कर रही थी।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,

"हम इसे पूरी तरह से ग्रीन बेंच रखेंगे ताकि कोई कागजात न हो। कृपया कागजात न लाएं।"

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,

"सेक्रेटरी जनरल और आईटी सेल के हेड प्रौद्योगिकी के उस्ताद हैं, उन्होंने कहा कि वे शनिवार को प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए सीनियर्स को प्रशिक्षित करने के इच्छुक हैं।"

जब एक वकील ने प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में कठिनाई व्यक्त की, तो जस्टिस एमआर शाह ने उन्हें आश्वासन दिया,

"हमें भी प्रशिक्षण मिला है, एक न एक दिन आपको भी शुरू करना ही होगा।"

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,

"यदि आप अदालत में बहस कर सकते हैं, तो आप इसे आसानी से अपना सकते हैं।"

पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद मामले में सुनवाई शुरू करने की संभावित तारीख 11 अक्टूबर 2022 तय की।

पीठ ने आदेश में कहा,

"कार्यवाही कागज रहित वातावरण में होनी चाहिए।"

रजिस्ट्री को पेपरबुक्स को स्कैन करके बेंच और पार्टियों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।

पीठ ने यह भी कहा कि कानूनी कार्यवाही में तकनीकी अनुप्रयोगों से काउंसल को परिचित कराने के लिए सप्ताहांत में प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।

दिल्ली-एलजी मामले के अलावा यह संविधान पीठ शिवसेना विवाद, नागरिकता कानून की धारा 6ए की वैधता और अनुच्छेद 334 के तहत लोकसभा और विधानसभा में एस/एटी को दिए गए आरक्षण से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही है।


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