भीमा कोरेगांव हिंसा : सुप्रीम कोर्ट से गौतम नवलखा और तेलतुंबडे को 16 मार्च तक

Update: 2020-03-06 12:18 GMT

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को गिरफ्तारी से 16 मार्च तक संरक्षण दिया है। पीठ इस मामले की सुनवाई 16 मार्च को ही करेगी।

वहीं मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अब मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( NIA) कर रही है।

दरअसल 1 जनवरी, 2018 को पुणे जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा के बाद गौतम नवलखा और आनंद समेत अन्य कार्यकर्ताओं को पुणे पुलिस ने उनके कथित माओवादी लिंक और कई अन्य आरोपों के लिए आरोपी बनाया है।

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा और तेलतुंबडे को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण को चार सप्ताह की अवधि के लिए बढ़ा दिया ताकि वे अपील में सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर सकें।

पुलिस ने आरोप लगाया है कि वो सम्मेलन माओवादियों द्वारा समर्थित था। तेलतुंबडे और नवलखा ने उच्च न्यायालय में पिछले साल नवंबर में गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग की थी, जब पुणे की सत्र अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

हालांकि पुणे पुलिस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन केंद्र ने पिछले महीने जांच को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर दिया था। दरअसल उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी । पुलिस का आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे।  

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