'एफआईआर दर्ज, 6 व्यक्ति गिरफ्तार': पश्चिम बंगाल सरकार ने बीजेपी के 2 कार्यकर्ताओं की हत्या की एसआईटी जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कहा

Update: 2021-05-25 10:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को एक रिट याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। इस रिट याचिका में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के कहने पर कथित रूप से दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की सीबीआई / एसआईटी जांच की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की अवकाश पीठ को पश्चिम बंगाल राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि राज्य पुलिस ने दोनों हत्याओं के संबंध में एफआईआर दर्ज की है और शिकायतकर्ताओं के आरोपों के आधार पर दोनों मामलों में तीन-तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

लूथरा ने पीठ को यह भी बताया कि कलकत्ता हाईकोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ चुनाव के बाद की हिंसा के मुद्दों पर विचार कर रही है। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य को सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रकट नहीं किया है।

वरिष्ठ वकील ने पीठ को सूचित किया कि 5 न्यायाधीशों की पीठ पहले ही मामले में कुछ निर्देश जारी कर चुकी है। वह मंगलवार दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई करने वाली थी, लेकिन सुनवाई स्थगित कर दी गई, क्योंकि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आज उपलब्ध नहीं थे।

पीठ ने तब लूथरा को इन तथ्यों को बताते हुए एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। इसके साथ ही मामले को एक अन्य याचिका के साथ टैग किया गया है, जिसमें बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों के मुआवजे और पुनर्वास की मांग की गई है। इस पर पीठ ने मंगलवार नोटिस जारी किया है।

न्यायालय मृतक भाजपा सदस्य अविजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार द्वारा दायर एक रिट याचिका पर भी विचार कर रहा है। इस भाजपा कार्यकर्ता को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान कथित तौर पर टीएमसी सदस्यों द्वारा मार दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के इशारे पर अपने भाई और भाजपा बूथ कार्यकर्ता हारन अधिकारी की कथित हत्या की अदालत की निगरानी में जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की। मामले में दूसरी याचिकाकर्ता हारन अधिकारी की विधवा हैं।

याचिका में आगे 2 मई को तृणमूल कांग्रेस के लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल में हुई व्यापक हिंसा के कृत्यों की जांच की मांग की गई है।

पिछली सुनवाई की तारीख 18 मई, 2021 को याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने प्रस्तुत किया था कि "क्रूर हत्याओं" के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई थी और "जांच को नष्ट करने" के प्रयास किए गए थे।

जेठमलानी ने कहा,

"जिन कार्यकर्ताओं की हत्या की गई वे भाजपा कार्यकर्ता थे। इसे राज्य प्रशासन और पुलिस की कहानी ने मूर्खतापूर्ण तरीके से प्रोत्साहित किया। राज्य कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसके लिए कार्रवाई और अदालती निगरानी की आवश्यकता है।"

जेठमलानी ने आगे प्रार्थना की कि अविजीत सरकार के शव के पोस्टमार्टम की वीडियो-रिकॉर्डिंग की जाए, जिसका अभी तक अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि वह इस प्रार्थना को एकपक्षीय नहीं मान सकती।

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