ईसाइयों पर हमले के आंकड़े गलत: केंद्र सरकार ने ईसाई पादरियों और संस्थानों के खिलाफ हमलों को रोकने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से कहा

Update: 2023-04-13 12:19 GMT

देश भर में ईसाई पादरियों और ईसाई संस्थानों के खिलाफ कथित हमलों को रोकने के निर्देश की मांग वाली एक याचिका में, केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि राज्यों से एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, याचिकाकर्ता द्वारा प्रदान किए गए ईसाइयों पर हमलों के आंकड़े गलत थे।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष इस मामले पर बहस हुई।

आज की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से पेश होकर दलील दी कि शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर इस मामले पर ध्यान दिया था। हालांकि, उक्त आंकड़े गलत थे।

उन्होंने कहा-

"याचिकाकर्ता ने दावा किया कि कुछ 500 घटनाएं हैं जहां ईसाइयों पर हमला किया गया था। हमने सब कुछ राज्य सरकारों को भेज दिया। हमें जो भी जानकारी मिली, हमने उसे समेट लिया। पहले बिहार को देखते हैं। याचिकाकर्ता ने जो कुल संख्या दी है, वह पड़ोसियों के बीच आंतरिक झगड़े हैं, जिनमें से एक ईसाइयो के बीच हुआ है- जिसे उन्होंने हल कर ‌लिया है... उनके द्वारा दिया गया आंकड़ा सही नहीं था।"

यह तर्क देते हुए कि यह स्पष्ट था कि याचिकाकर्ता सिर्फ "विवाद खड़ा करना" चाहते थे, एसजी मेहता ने यह भी कहा कि याचिका ने जनता को गलत संदेश भेजा है।

उन्होंने कहा-

"इस तरह से इसे देश के बाहर प्रदर्शित किया जा रहा है। यह वह संदेश है जो जनता में जाता है कि ईसाई खतरे में हैं। यह गलत है।"

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि हलफनामा कल देर रात पेश किया गया और इस पर जवाब देने के लिए और समय देने का अनुरोध किया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।

पृष्ठभूमि

बैंगलोर डायसिस के आर्कबिशप डॉ पीटर मचाडो के साथ नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम, इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। याचिका के अनुसार, वर्तमान जनहित याचिका सतर्कता समूहों और दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों द्वारा देश के ईसाई समुदाय के खिलाफ "हिंसा की भयावह घटना" और "लक्षित घृणास्पद भाषण" के खिलाफ दायर की गई है।

याचिका में यह प्रस्तुत किया गया है कि इस तरह की हिंसा अपने ही नागरिकों की रक्षा करने में राज्य तंत्र की विफलता के कारण बढ़ रही है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारे और अन्य राज्य मशीनरी उन समूहों के खिलाफ तत्काल और आवश्यक कार्रवाई करने में विफल रही हैं, जिन्होंने ईसाई समुदाय के खिलाफ व्यापक हिंसा और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है, जिसमें उनके पूजा स्थलों और उनके द्वारा संचालित अन्य संस्थानों पर हमले शामिल हैं।

केंद्र सरकार ने एक जवाबी हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया है कि भारत में "ईसाई उत्पीड़न" का दावा झूठा है और आरोप लगाया है कि याचिकाकर्ताओं ने कुछ पक्षपाती और एकतरफा रिपोर्टों पर भरोसा किया है। यून‌ियन ऑफ इं‌डिया ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं ने व्यक्तिगत विवादों से उत्पन्न कुछ मामलों को सांप्रदायिक हमलों के रूप में पेश किया है।

केस टाइटल: मोस्ट रिव डॉ पीटर मचाडो और अन्य बनाम यूओआई और अन्यः डब्ल्यूपी(सीआरएल) नंबर 137/2022

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