पिता को बेटे की हरकतों की जानकारी है, यह नहीं माना जा सकता, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में राहत
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक अरविंदकुमार धाकड़ को रिहा करने का निर्देश दिया था, जिसे सोने की तस्करी के आरोप में राजस्व खुफिया निदेशालय ने गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति एन. बी. सूर्यवंशी की खंडपीठ ने धाकड़ के बेटे मयंक द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमे यह आरोप लगाया गया कि उनके पिता की गिरफ्तारी भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 (1) और सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 104 के उल्लंघन में हुई थी। ।
केस की पृष्ठभूमि
डीआरआई के अनुसार, एक सिंडिकेट वर्ष 2016 से भारत में सोने की तस्करी कर रहा है; यह कि 26.03.2019 को क्लियर किये गए एक कंटेनर में 60 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत वाले 200 किलो विदेशी मूल के सोने को भारत में निसार अलियार द्वारा तस्करी करके आयात किए गए धातु स्क्रैप के अंदर छिपाकर रखा गया था, जिसका कुछ हिस्सा डीआरआई ने जब्त कर लिया है; यह कि सिंडिकेट ने 3000 किलोग्राम से अधिक के सोने की तस्करी, जुलाई, 2018 से मार्च, 2019 के बीच की थी जिसका मूल्य 1000 करोड़ रुपये से अधिक होगा।।
DRI ने निसार और हैप्पी धाकड़ (अरविंदकुमार के बेटे) को उक्त तस्करी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया। हैप्पी धाकड़, एकदंत कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड की देखरेख कर रहा था।
श्रीनी पिल्लई, राजस्व खुफिया निदेशालय, मुंबई की एक अधिकारी ने 27 अगस्त, 2019 को अपने गिरफ्तारी वारंट में यह आरोप लगाया कि अरविंदकुमार ने अपने बेटों की तस्करी में सहायता एवं उत्प्रेरण किया। 27 अगस्त को आरोपी से पूछताछ की गई और पिल्लई ने पूछताछ के दौरान धाकड़ के "असहयोगी और विघटनकारी रवैये" का हवाला देते हुए उसकी गिरफ्तारी के पीछे इसे कारण बताया।
गिरफ्तारी के ज्ञापन में कहा गया था -
"इस कार्यालय द्वारा एकत्र किए गए सबूतों से यह संकेत मिलता है कि एकदंत वाणिज्यिक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक होने के नाते आप विशेष रूप से कंपनी की गतिविधियों, खासकर सोने की तस्करी से अवगत थे। 27.8.2019 को दर्ज आपके बयान के दौरान आपने विवादास्पद जवाब देने के लिए एक असहयोगी और विघटनकारी रवैया अपनाया है।"
सबमिशन
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुजय कान्तावाला ने यह पेश किया और कहा कि गिरफ्तारी ज्ञापन, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 104 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं था, जो यह बताता है कि कस्टम अधिकारी को "विश्वास करने के अपने कारणों" को दर्ज करना आवश्यक था कि आरोपी ने धारा 132 या 133 या 135 या 135 ए या 136 के तहत अपराध किया है, और ऐसे "विश्वास करने के अपने कारणों" और "गिरफ्तारी के आधार" को गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को जल्द से जल्द सूचित किया जाना है।
कांतावाला ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, एस्प्लानेड कोर्ट के 28 अगस्त को दिए आदेश को भी चुनौती दी, जिसमे अभियुक्त को 9 सितंबर, 2019 तक मजिस्ट्रियल हिरासत में भेज दिया गया था, जैसा कि अभियोजन एजेंसी द्वारा मांग की गई थी, इस आधार पर कि इस तरह के रिमांड आदेश को यांत्रिक तरीके से पारित किया गया।
अपने क्लाइंट के लिए अंतरिम राहत की मांग करते हुए, कांतावाला ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों, मधु लिमये एवं अन्य AIR 1969 SC 1014 और राम नारायण सिंह बनाम दिल्ली राज्य, AIR 1953 SC 277 पर भरोसा किया। ।
एपीपी अरुणा एस. पाई ने कहा कि इस तरह के मामले में डीआरआई की प्रथा न्यायिक रिमांड लेने की रही है और इसके बाद सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 108 के तहत बयान दर्ज करने के लिए अभियुक्तों की उपस्थिति प्राप्त करने के लिए अदालत से स्वतंत्रता प्राप्त की जाती है। उन्होंने दावा किया कि सुनवाई के दौरान आरोपी अरविंदकुमार के एक सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले में आगे की जांच की संभावना है।
आदेश
कोर्ट ने उल्लेख किया कि निसार और हैप्पी धाकड़, दोनों को Conservation of Foreign Exchange and Prevention of Smuggling Activities Act के सलाहकार बोर्ड द्वारा छोड़ दिया गया था।
बेंच ने देखा-
"यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यहां पैरा 13 में जैसा की नीचे उद्धृत किया गया है, अभियोजन पक्ष ने निम्नानुसार बताया है।" कंपनी के निदेशक होने के नाते और आरोपी हैप्पी धाकड़ के पिता के रूप में, इस बात की अत्यधिक असम्भावना है कि वह ऐसी गतिविधियों से अनजान था ..."
अभियोजन पक्ष द्वारा किए गए पूर्वोक्त विवरण से पता चलता है कि अभियोजन पक्ष ने यह अनुमान लगाया है कि हिरासत में लिए गए अरविंदकुमार जैन धाकड़ को अपने बेटे हैप्पी धाकड़ की गतिविधियों के बारे में पता था। प्रथम दृष्टया, यह उस मानक को पूरा नहीं करता है, जैसा कि सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के धारा 140 के तहत निर्धारित है। "
अरविंदकुमार की रिहाई का निर्देश देते हुए, कोर्ट ने उसे आवश्यकता पड़ने पर DRI अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा। कोर्ट ने अंतरिम आदेश पर स्टे के लिए अरुणा पाई के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।