किसान महापंचायत ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "हम राजमार्ग अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारियों का हिस्सा नहीं"

Update: 2021-10-04 07:06 GMT

किसान संगठन 'किसान महापंचायत' ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि वह दिल्ली-एनसीआर सीमा पर राजमार्गों को अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारियों का हिस्सा नहीं है।

'किसान महापंचायत' ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया है कि यह उन प्रदर्शनकारियों के समूह का हिस्सा नहीं है जिन्होंने पुलिस या सुरक्षाकर्मियों को रोका है।

हलफनामे में कहा गया है कि,

"...याचिकाकर्ता किसान महापंचायत न तो उन प्रदर्शनकारियों का हिस्सा है, जिन्हें किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुलिस/सुरक्षा कर्मियों द्वारा रोका गया है और न ही याचिकाकर्ता किसान निकाय के सदस्य किसी भी स्थायी/अस्थायी किसी भी सड़क पर आवाजाही रोकने की गतिविधि में शामिल हैं।"

दिल्ली के जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति मांगने वाली किसान महापंचायत की ओर से दायर रिट याचिका में यह हलफनामा दाखिल किया गया है। 1 अक्टूबर को अदालत ने याचिकाकर्ता से इस आशय का एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था, जब उसके वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता संगठन सड़क अवरोधों से जुड़ा नहीं है। सड़क जाम की आलोचना करते हुए पीठ द्वारा मौखिक टिप्पणी करने के बाद वकील ने यह दलील दी थी।

"आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है, अब आप अंदर आना चाहते हैं?", न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक रूप से याचिकाकर्ता से पूछा था।

वर्तमान हलफनामे में "किसान महापंचायत" ने कहा है कि उसने विषय वस्तु और विरोध के तरीके के बारे में मतभेद के बाद अन्य किसान संगठनों से नाता तोड़ लिया है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान हुई घटनाओं के बाद, किसान महापंचायत ने अन्य संगठनों से अपना रास्ता अलग कर लिया है।

हलफनामे में कहा कि,

"याचिकाकर्ता ने अन्य किसान निकाय के साथ विषय-वस्तु, तरीके और विरोध के तरीके के बारे में मतभेद होने के बाद शांतिपूर्ण सत्याग्रह करने के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क किया है और 26 जनवरी 2021 की घटना के बाद अपना रास्ता अलग कर लिया है। याचिकाकर्ताओं ने वास्तव में एक इस माननीय न्यायालय द्वारा गठित समिति के समक्ष उपस्थित होने की इच्छा व्यक्त करते हुए 12.01.2021 को माननीय न्यायालय के समक्ष बयान दिया, जबकि अन्य कृषि निकायों ने उपस्थित होने से इनकार कर दिया।

संगठन ने आगे कहा है कि वह विवादित कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सामने पेश होना चाहता था, हालांकि अन्य किसान निकायों ने पेश होने से इनकार कर दिया।

हलफनामे में आगे बताया गया है कि किसान महापंचायत ने न केवल कृषि कानूनों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, बल्कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करने की मांग को लेकर आवाज भी उठाई है।

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