फैक्ट चेकिंग यूनिट को 5 जुलाई तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट में आईटी नियमों में संशोधन के खिलाफ कुणाल कामरा की याचिका पर केंद्र सरकार ने कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि संशोधित आईटी नियमों के तहत फैक्ट चेकिंग यूनिट को 5 जुलाई तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा,
"मुझे एक बयान देने का निर्देश है कि एफसीयू को 5 जुलाई तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा।"
अदालत कॉमेडियन कुणाल कामरा की सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 के नियम 3(i)(II)(C) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट को "फेक न्यूज" की पहचान करने की अनुमति दी गई।
जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने कामरा की याचिका पर ध्यान दिया कि संशोधन का भयावह प्रभाव होगा।
खंडपीठ ने कहा,
"हम मानते हैं कि यह विवादित नियम के स्थगन या निलंबन के सवाल पर तुरंत विचार करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि फैक्ट चेकिंग यूनिट को अधिसूचित किए बिना नियम काम नहीं कर सकता है।"
अदालत ने कामरा को नियमों में संशोधन करने की केंद्र की क्षमता को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन करने की भी अनुमति दी। संशोधन 2 मई तक दायर किया जाना है।
अदालत ने केंद्र को 6 जून तक संशोधित याचिका सहित कामरा की याचिका पर पूरी प्रतिक्रिया दर्ज करने का निर्देश दिया और निर्देश के लिए याचिका को 8 जून को पोस्ट कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने देखा कि आईटी नियम 2022 में नए संशोधन में प्रथम दृष्टया व्यंग्य की रक्षा के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों का अभाव है और चुनौती प्रथम दृष्टया "दबाव योग्य" बनी हुई है।
कामरा की दलील के अनुसार, नए नियम के माध्यम से बिचौलियों (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) को "गलत सूचना" या "भ्रामक सूचना" अपलोड या शेयर नहीं करने के "कारण" के लिए उचित प्रयास करने चाहिए। कामरा की याचिका में कहा गया कि यह 2021 के पहले के आईटी नियमों से हट गया है, जिसमें फैक्ट चेकिंग यूनिट को केवल "झूठी या भ्रामक जानकारी" अपलोड या शेयर नहीं करने के अपने दायित्व के यूजर्स को "सूचित" करने की आवश्यकता थी।
इंटरमीडिएटर्स का उद्देश्य सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट द्वारा "केंद्र सरकार के किसी भी व्यवसाय के संबंध में फेक या गलत या भ्रामक" के रूप में पहचाने जाने वाली जानकारी को प्रकाशित या प्रदर्शित नहीं करने के लिए उचित प्रयास करना है।
कामरा ने कहा कि वह राजनीतिक व्यंग्यकार हैं, जो अपना कंटेंट शेयर करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं और विवादित नियम संभावित रूप से उनके कंटेंट को मनमाने ढंग से अवरुद्ध करने, नीचे ले जाने या उनके सोशल मीडिया अकाउंट को निलंबित या निष्क्रिय करने का कारण बन सकते हैं।
केस नंबर- डब्ल्यूपी(एल)/9792/2023
केस टाइटल- कुणाल कामरा बनाम भारत संघ