'सुनिश्चित करें कि COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए': सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए

Update: 2021-06-08 10:29 GMT

Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि COVID-19 महामारी के कारण अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो चुके बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।

कोर्ट ने आदेश दिया कि,

"राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महामारी के कारण अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो चुके बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।"

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश दिया, जिसे अदालत ने COVID-19 से प्रभावित बच्चों की समस्याओं से निपटने के लिए शुरू किया था।

कोर्ट को एमिकस क्यूरी अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने सुझाव दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि COVID-19 महामारी के कारण अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो चुके बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।

पीठ ने एमिकस क्यूरी द्वारा दिए गए सुझावों को स्वीकार करते हुए कहा कि,

"यदि प्रभावित बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं तो उन्हें जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। जहां तक निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बात है, राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को कदम उठाना चाहिए और उन स्कूलों में बच्चों को जारी रखने का निर्देश देना चाहिए। कम से कम छह महीने की अवधि के लिए, जिस समय तक कुछ व्यवस्था पर काम किया जा सकता है।"

पीठ ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के राष्ट्रीय पोर्टल पर COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों की जानकारी अपलोड करना जारी रखने का भी निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि एनसीपीसीआर द्वारा 6 जून तक एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार COVID19 के कारण 30,071 बच्चे अनाथ हो गए हैं या अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है (3,621 अनाथ, 26,176 ने माता-पिता में से किसी एक खो है और 274 बच्चों के सर से माता-पिता का साया उठ गया है।)

पीठ ने निम्नलिखित निर्देश दिए हैं;

1. राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया जाता है कि वे उन बच्चों की पहचान करना जारी रखें जो मार्च 2020 के बाद COVID-19 या कुछ दूसरे कारणों से अनाथ हो गए हैं या माता-पिता खो चुके हैं और बिना किसी देरी के एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर डेटा प्रदान करें।

2. जिला बाल संरक्षण इकाइयों (डीसीपीयू) को निर्देश दिया जाता है कि माता-पिता की मृत्यु की सूचना मिलने पर प्रभावित बच्चे और उनके अभिभावक से तत्काल संपर्क करें। यह सुनिश्चित करने के लिए डीपीसीयू को सौंपा गया है कि प्रभावित बच्चे के लिए राशन, भोजन, दवा, कपड़े आदि के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।

3. जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ) को अपना फोन नंबर और नाम, स्थानीय अधिकारी का फोन नंबर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है, जिससे अभिभावक और बच्चे से संपर्क किया जा सकता है। संबंधित अधिकारियों द्वारा बच्चे के साथ महीने में कम से कम एक बार नियमित रूप से निगरानी के लिए निर्देश दिए गए हैं।

4. यदि डीसीपीओ की प्रथम दृष्टया यह राय है कि अभिभावक बच्चे की देखभाल करने के लिए उपयुक्त नहीं है, तो उसे तुरंत सीडब्ल्यूसी के समक्ष बच्चे को पेश करना चाहिए।

5. बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) को सभी वित्तीय लाभों सहित जांच के लंबित रहने के दौरान बच्चे की सभी आवश्यक जरूरतों को पूरा करना चाहिए।

6. राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए प्रावधान करने का निर्देश दिया गया है।

7. राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अवैध रूप से गोद लेने में लिप्त गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

8. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के प्रावधानों और केंद्र सरकार/ राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रचलित योजनाओं का व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए, जिससे प्रभावित बच्चों को लाभ मिल सके।

9. डीसीपीओ COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के कल्याण की निगरानी के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी अधिकारी की सहायता लेने का निर्देश दिया गया है।

मामले का विवरण

शीर्षक: COVID-19 वायरस के पुन: संक्रमण में चिल्ड्रन प्रोटेक्शन होम

बेंच: जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस

CITATION: LL 2021 SCC 268

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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