करियर के अंत में कर्मचारी जन्मतिथि में बदलाव की मांग नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि कर्मचारी करियर के अंत में सेवा रिकॉर्ड में जन्मतिथि में बदलाव की मांग नहीं कर सकता।
जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड द्वारा दायर उस विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कर्मचारी की जन्मतिथि में बदलाव की अनुमति दी गई थी।
यह देखते हुए कि "यह सच है कि जन्मतिथि में बदलाव के लिए कोई भी अनुरोध लंबी देरी के बाद और विशेष रूप से किसी कर्मचारी के करियर के अंत में नहीं किया जा सकता है", बेंच ने मामला में विशेष तथ्यों के संबंध में पीएसयू की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
कर्मचारी की नियुक्ति के समय उसकी जन्मतिथि सही दर्ज की गई। हालांकि, उक्त प्रविष्टि को उनकी जानकारी के बिना बदल दिया गया और उसे इसके बारे में वर्ष 2001 में पता चला। जब उन्होंने याचिकाकर्ताओं के साथ पत्राचार शुरू किया तो उप-क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा 19.09.2011 को पत्र जारी किया गया। यह पत्र इस तथ्य को दर्ज करता है कि सेवा रिकॉर्ड में इंगित जन्मतिथि को काट दिया गया।
इन तथ्यों के आलोक में कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। तथ्य यह है कि कर्मचारी के पास केवल दस दिनों की और सेवा शेष है, उसने भी अदालत को याचिका पर विचार नहीं करने के लिए राजी किया।
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया,
"हालांकि, हम कानून को स्पष्ट करते हैं कि कर्मचारी लंबे समय के बाद जागते हुए अपने करियर के अंत में जन्मतिथि में बदलाव की मांग कर सकते।"