पता नहीं, कौन सा गरीब व्यक्ति अमेरिका की यात्रा करता है' : SG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में COVID-19 के चलते अमेरिका में फंसे भारतीय को वित्तीय सहायता पर कहा 

Update: 2020-05-08 09:08 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अमेरिका में फंसे भारतीयों को निकालने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने वकील को याचिका वापस लेने और संबंधित अधिकारियों के समक्ष उचित प्रतिनिधित्व करने का निर्देश दिया।

वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ भारतीय नागरिक हैं जिन्हें COVID स्थिति के बीच वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,  "हम यह कैसे आदेश दे सकते हैं? इस देश में वंचित लोग हैं!" 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि वहां के नागरिकों को पर्याप्त सुविधाएं दी जा रही हैं और वाणिज्य दूतावास के रोहित शर्मा आवश्यकतानुसार लोगों की सहायता कर रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 

"मुझे नहीं पता कि कौन सा गरीब व्यक्ति अमेरिका की यात्रा करता है। यदि आप खुश नहीं हैं, तो आप अमेरिका में भारतीय समुदाय से संपर्क कर सकते हैं। वे मदद भी प्रदान कर रहे हैं। लेकिन कोई दिशानिर्देश जारी नहीं हो सकते।"

दरअसल महामारी के बीच फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए केंद्र ने 6 मई को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल ( SoP) जारी किया था जिसे "वंदे भारत मिशन" कहा जाता है, सरकार के इशारे पर अब लोगों की निकासी शुरू की गई है। अभी तक, विभिन्न देशों से फंसे भारतीयों को वापस लाया गया है।

21 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने COVID19 के प्रकोप के बीच क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका और मोल्दोवा में फंसे भारतीयों को निकालने की मांग करने वाली दो दलीलों का निपटारा किया था। 

जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस बीआर गवई की 3-जजों वाली बेंच ने इसे सरकार के विवेक पर छोड़ने का फैसला किया कि कब इन लोगों को वापस लाना सबसे उपयुक्त होगा, और हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। 

विपक्षी दत्ता मखीजा की दलील पर अमेरिका में फंसे उन भारतीयों को निकालने की याचिका पर नोटिस जारी किया गया था, जिनके उनके अस्थायी वीजा की अवधि समाप्त हो रही थी। केंद्र सरकार ने एक स्टेटस रिपोर्ट दायर की जिसमें उपायों से अदालत को अवगत कराया ताकि उक्त भारतीयों की भलाई सुनिश्चित कर सकें। 

इस रिपोर्ट में प्रत्येक क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों के विवरणों की रूपरेखा तैयार की गई थी और कुछ स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर उन फंसे लोगों की मदद करने के लिए दूतावास और वाणिज्य दूतावासों द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला गया था।

13 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यूनाइटेड किंगडम में फंसे भारतीय छात्रों को अभी वापस नहीं लाया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने केंद्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे पर ब्रिटेन में फंसे छात्रों के लिए अपनाए गए उपायों का विवरण देते हुए कहा, 'आप जहां हैं' वहीं रहें।

अदालत ने केंद्र को 20 अप्रैल, 2020 से पहले अमरीका और ईरान में फंसे भारतीय मछुआरों को वापस लाने की याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने का निर्देश दिया था।

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