"क्या आपने इस याचिका को जिम्मेदारी से ड्राफ्ट किया है?": सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल चुनाव में हेरफेर का आरोप लगाने वाली याचिका दायर करने वाले एनजीओ को फटकार लगाई
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को 2021 के राज्य चुनावों में कथित हेरफेर के संबंध में अनुच्छेद 356 (1) के तहत राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिका में घटना की एनआईए जांच की भी मांग की गई थी।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने हालांकि याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने की बात कही, लेकिन अंत में इससे बचते हुए याचिका खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता मातृभूमि सेवर्थ फाउंडेशन से इस जनहित याचिका को दायर करने से पहले किए गए कार्यों के बारे में भी सवाल किया। याचिका में पश्चिम बंगाल में नए सिरे से विधानसभा चुनाव कराने और नए मतदाताओं की सूची तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।
बेंच ने कहा,
"आपने कहा था कि आपका कोई राजनीतिक जुड़ाव नहीं है, लेकिन आपकी अन्य प्रार्थनाएं चुनाव आयोग को राज्य में जनसांख्यिकीय हेरफेर को देखने और एक नई मतदाता सूची बनाने का निर्देश देना है।"
पीठ ने आगे पूछा,
"क्या आपने किसी जिम्मेदारी की भावना के साथ इस याचिका का मसौदा तैयार किया?"
इस पर याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट सुभाष झा ने सकारात्मक जवाब दिया।
बेंच ने कहा,
"अगर ऐसा है, तो हम भारी जुर्माना लगाएंगे। चेतावनी के साथ आगे बढ़ें।"
वकील ने जवाब दिया,
"मैं चेतावनी के साथ आगे नहीं बढ़ सकता... चुनाव प्रक्रिया में पूरी तरह से हेराफेरी की गई है।" वकील ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामलों के संबंध में गैर सरकारी संगठनों द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार किया है।
याचिकाकर्ता ने आगे पूछा, "जब चुनाव में हेराफेरी की जाती है तो आम आदमी क्या कर सकता है?"
बेंच ने इस पर सवाल पूछा,
"क्या यह अनुच्छेद 32 के तहत उपाय है? चुनावी हेरफेर एक गंभीर आरोप है। चुनाव याचिकाओं के बारे में क्या?"
बेंच ने पूछा,
"पीठ ने यह भी सोचा कि वह राष्ट्रपति और राज्यपाल को निर्देश कैसे जारी कर सकती है।"
"हम जनहित याचिका पर विचार करने के लिए राजी नहीं हैं। हमने जुर्माना लगाने पर भी विचार किया है। हालांकि, हमने ऐसा करने से परहेज किया है। याचिका खारिज की जाती है।"
केस टाइटल : मातृभूमि सेवार्थ फाउंडेशन बनाम भारत संघ, डब्ल्यूपी (सी) जनहित याचिका 764/2021