विकसित न्यायालय अवसंरचना न्यायपालिका के प्रगतिशील भविष्य को परिभाषित करती है; सुप्रीम कोर्ट को जल्द ही नई 'फ्यूचिरिस्टिक' बिल्डिंग मिलेगी: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

Update: 2024-01-08 04:53 GMT

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (6 जनवरी) को गुजरात के राजकोट में नए जिला अदालत परिसर के उद्घाटन और न्याय मंदिर और ई-पहल के शुभारंभ के लिए आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण दिया।

अपने संबोधन में उन्होंने बदलते समय की अपरिहार्य स्थिति और युवा वकीलों को टेक्नोलॉजी के अनुकूल ढलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जजों, वकीलों और वादियों के लिए न्याय वितरण को कुशल बनाने में विकसित अदालती बुनियादी ढांचे के प्रभाव पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा,

“इमारत में 50 कोर्ट रूम्स का एकीकरण राजकोट में वकीलों और वादियों दोनों के लिए पहुंच में वृद्धि सुनिश्चित करता है। तेजी से बदलावों से भरे इस युग में अनुकूलन करना अनिवार्य है... वकीलों को वास्तव में टेक्नोलॉजी के उपयोग में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और वकीलों को टेक्नोलॉजी के उपयोग से अलग नहीं होना चाहिए। यह नया जिला न्यायालय भवन न केवल कानूनी समुदाय के लिए बल्कि बड़े पैमाने पर समुदायों के लिए सराहनीय उदाहरण के रूप में कार्य करता है.. न्याय की यह संस्था यह सुनिश्चित करते हुए विकसित होती रहेगी कि न्याय न केवल दिया जाए बल्कि सभी को गरिमा, सम्मान और सहजता के साथ इसका अनुभव भी हो।''

राजकोट जिला न्यायालय के अधिकारियों की सराहना करते हुए सीजेआई ने महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे के सकारात्मक प्रभाव पर जोर दिया, जो महिला वकीलों को अपने घरेलू कर्तव्यों और मातृत्व से समझौता किए बिना अपने करियर को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है।

उन्होंने इस संबंध में कहा,

“मैं प्रत्येक मंजिल पर कैंटीन, क्रेच रूम और महिलाओं और दिव्यांगों के लिए व्यापक शौचालय जैसी सुविधाओं को जोड़ने पर जोर देना चाहूंगा। यह मानते हुए कि शिशु पालना और बच्चों की देखभाल युवा महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण जीवन विकल्प हैं, शिशुगृह कक्ष बनाया जाना भी सराहनीय है। युवा महिला वकीलों के लिए अलग बाथरूम होना भविष्य में न्यायपालिका की सामाजिक प्रगति को परिभाषित करता है।

सीजेआई ने कहा कि चूंकि यह जिला अदालत है, जो पीड़ित वादियों के लिए पहली अदालत है। इसलिए जिला अदालत के वकीलों की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि "आने वाली पीढ़ियों में न्याय की ध्वजा फहराती रहेगी"। उन्होंने बताया कि कैसे सुबह द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा का अवलोकन करते समय उन्हें उस विशेष उद्देश्य से प्रेरणा महसूस हुई, जो इसका प्रतीक है। उन्होंने मानवता को विशेष उद्देश्य के रूप में कानून के शासन और भारत के संविधान द्वारा शासित बताया।

यह टिप्पणी करते हुए कि गुजरात में राजकोट जिले की नई इमारत न केवल देश भर की जिला अदालतों के लिए बल्कि सभी हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के लिए भी मॉडल के रूप में कार्य करती है, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त भवन से सुसज्जित होगी। ।

उन्होंने कहा,

“सुप्रीम कोर्ट नए भविष्य के एससी भवन, 27 नए कोर्ट रूम, नवीनतम तकनीक वाले भविष्योन्मुखी (Futuristic) कोर्ट रूम और बार और वादियों सहित प्रत्येक हितधारक के लिए सभी सुविधाओं का निर्माण शुरू करने जा रहा है। मैं यह कहने का साहस करता हूं कि राजकोट जिला अदालत न केवल भारत भर की जिला अदालतों के लिए बल्कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए भी एक मॉडल है।''

उन्होंने दर्शकों को यह याद दिलाते हुए अपने भाषण का समापन किया कि न्याय का सार सिर्फ छुटकारा दिलाना नहीं है, बल्कि सभी को गरिमा, सम्मान और सहजता के साथ इसका अनुभव करना है।

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