श्रीकृष्‍ण जन्मभूमि के पास विध्वंसः सुप्रीम कोर्ट ने य‌‌थास्थिति आदेश में विस्तार देने से इनकार किया

Update: 2023-08-25 09:00 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि के पीछे बसी एक बस्ती में रेलवे अधिकार‌ियों की ओर से किए जा रहे विध्वंस अभियान के संबंध में 16 अगस्त को दिए गए यथास्थिति आदेश को बढ़ाने से इनकार कर दिया।

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ को रेलवे ने सूचित किया कि विध्वंस पूरा हो गया है।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया और कहा कि वह विध्वंस से प्रभावित नहीं है क्योंकि वह विवादित क्षेत्र में नहीं रहता है। पीठ ने याचिकाकर्ता को रेलवे द्वारा दायर जवाबी हलफनामे पर प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी है और मामले को अगले सोमवार के लिए पोस्ट कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त को रेलवे अधिकारियों की ओर से दस दिनों तक किए जा रहे विध्वंस अभियान के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था।

ज‌स्टिस अनिरुद्ध बोस, ज‌स्टिस संजय कुमार और ज‌स्टिस एसवीएन भट्टी की तीन-जजों की पीठ ने सीनियर एडवोकेट प्रशांतो चंद्र सेन की दलील के बाद निवासियों को अंतरिम राहत देने का आदेश पारित किया था कि अगर विध्वंस अभियान जारी रहा तो याचिका निरर्थक हो सकती है।

सीनियर एडवोकेट ने पीठ से कहा,

"जब हमने इस अदालत से संपर्क किया, तो उत्तर प्रदेश की सभी अदालतें बंद थीं। इसका फायदा उठाते हुए, अधिकारियों ने 100 से अधिक घरों पर बुलडोज़र चला दिया। क्षेत्र में लगभग 200 घर हैं। केवल 70-80 घर बचे हैं।"

इस संक्षिप्त दलील को सुनने के बाद, पीठ ने कहा,"नोटिस जारी किया गया। यूनियर ऑफ इंडिया के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को तामील किया जाएगा। दस दिनों की अवधि के लिए विषय परिसर के संबंध में यथास्थिति रहने दें। इसके बाद सूची बनाएं।"

सीनियर एडवोकेट के कहने पर पीठ ने याचिकाकर्ता को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की भी अनुमति दे दी। पीठ ने संकेत दिया कि अंततः, वह पक्षों को सिविल कोर्ट में स्थानांतरित कर सकती है, जहां संपत्तियों के संबंध में मुकदमे लंबित हैं।

पृष्ठभूमि

9 अगस्त को, सरकार ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक विध्वंस अभियान शुरू किया, जिसमें कथित तौर पर नई बस्ती - कृष्ण जन्मभूमि के पीछे रेलवे ट्रैक के किनारे बसी एक बस्ती - के 135 घरों को नष्ट कर दिया गया था।

इन घरों को सरकारी भूमि पर अवैध अतिक्रमण के रूप में चिह्नित किया गया और जिला प्रशासन और पुलिस के साथ रेलवे की एक टीम ने यह कार्य किया।

रेलवे अधिकारियों ने वंदे भारत जैसी ट्रेनों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए मथुरा से वृंदावन तक 21 किलोमीटर की दूरी को नैरो से ब्रॉड गेज में बदलने की योजना का हवाला देकर इस कदम का बचाव किया है।

हालांकि निवासियों ने नाराजगी जताई है।

बस्ती के निवासियों को अपने सामान के साथ बाहर जाने की अनुमति देने के लिए दी गई तीन दिन की राहत अवधि के दौरान, उनमें से कुछ ने विध्वंस अभियान पर रोक लगाने के लिए स्थानीय अदालत से संपर्क किया।

हालांकि, उत्तर प्रदेश में एक वकील की गोली मारकर हत्या के बाद वकीलों द्वारा बुलाई गई हड़ताल के कारण मामले का अंतिम निर्णय नहीं हो सका।

इन परिस्थितियों में, स्थानीय निवासी याकूब शाह ने अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तत्काल सुनवाई की मांग की। शाह ने आरोप लगाया है कि विध्वंस ऐसे क्षेत्र में किया गया जहां मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी है, जबकि जून में जारी बेदखली नोटिस के खिलाफ चुनौती मथुरा की स्थानीय अदालत में लंबित थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को सीनियर एडवोकेट प्रशांतो चंद्र सेन द्वारा तत्काल सुनवाई की मांग के बाद याचिका को बुधवार, 16 अगस्त को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।

नई बस्ती कृष्ण जन्मभूमि के पास एक रेलवे ट्रैक के किनारे स्थित है। जिस ज़मीन पर निकटवर्ती शाही ईदगाह मस्जिद बनी है, उसके स्वामित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट सहित देश की विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे और याचिकाएं लंबित हैं।

हिंदू पक्षकारों का दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों को तोड़कर कराया था। मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली उनकी याचिकाओं ने क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया है।

हाल ही में, श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए प्रार्थना करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

केस डिटेलः याकूब शाह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य। | 2023 की डायरी नंबर 33

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