दिल्ली हाईकोर्ट ने एस गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना कार्रवाई बंद की, लेखक के माफीनामे को रिट्विट करने को कहा 

Update: 2019-10-14 11:01 GMT

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 72 घंटे के भीतर अवमाननापूर्ण लेख के लेखक के माफीनामे को रीट्वीट करने का वादा करने के बाद एस. गुरुमूर्ति को एक अवमानना ​​मामले में उत्तरदाताओं की सूची से हटा दिया है।

दरअसल लेखक ने अपने लेख, "दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुरलीधर के गौतम नवलखा के साथ संबंधों का खुलासा क्यों नहीं किया गया है?" में यह दावा किया था कि न्यायमूर्ति मुरलीधर ने गौतम नवलखा के पक्ष में एक आदेश पारित किया था, क्योंकि उनकी पत्नी नवलखा की घनिष्ठ मित्र थीं। यह लेख 'दृष्टिकोण' नामक एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

सोशल मीडिया पर लेखक ने माफी पत्र को किया था प्रकाशित; अदालत ने स्वीकारी माफी

लेखक की माफी को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने दर्ज किया कि लेखक, जो एक अमेरिकी नागरिक हैं, ने सोशल मीडिया पर अपने माफी पत्र को प्रकाशित करने का उपक्रम किया और यह देखा कि लेखक न्यायमूर्ति मुरलीधर के प्रति उच्च सम्मान रखते हैं और भविष्य में और अधिक सावधान रहने के लिए निर्देशित किया गया। उनको अवमानना ​​मामले में एक पक्ष के रूप में भी हटा दिया गया जिस पर अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था ।

माफीनामे को रीट्वीट करने और माफी का हाइपरलिंक संलग्न करने का वादा

सोमवार की सुनवाई में एस. गुरुमूर्ति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि गुरुमूर्ति पोस्ट किए गए माफीनामे को रीट्वीट करेंगे और अपने ट्वीट में माफी के लिए हाइपरलिंक भी संलग्न करेंगे। यह भी प्रस्तुत किया गया कि एस. गुरुमूर्ति अपने ट्विटर हैंडल पर यह भी उल्लेख करेंगे कि लेखक ने अवमाननापूर्ण लेख वापस ले लिया है।

जेठमलानी द्वारा यह भी प्रस्तुत किया गया था कि चूंकि एस. गुरुमूर्ति ने केवल उक्त लेख को बिना किसी टिप्पणी के रीट्वीट किया था, इसलिए यह एक समर्थन के समान नहीं है, इसलिए उन्हें अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

इसलिए अदालत ने गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना ​​के आरोप को यह कहकर खारिज कर दिया कि वह अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर रहे हैं कि लेखक ने माफीनामे के साथ-साथ अवमाननापूर्ण लेख को वापस ले लिया है। 

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