COVID -19 : सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के पलायन पर केंद्र सरकार से पूछा क्या कदम उठाए, स्टेटस रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के बारे में उठाए गए कदमों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें शहरों से प्रवासी कामगारों के भारी पलायन के मद्देनज़र अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई हैं क्योंकि वो कोरोनावायरस लॉकडाउन में बुनियादी आवश्यकताओं के बिना छोड़ दिए गए थे। केंद्र को जवाब दाखिल करने की अनुमति देते हुए मामले को अगली सुनवाई मंगलवार दोपहर तय की गई है।
सुनवाई का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया गया। वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने अपने आवासीय कार्यालय से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और न्यायाधीशों को मामले से अवगत कराया।
श्रीवास्तव ने कहा कि संकट के प्रबंधन में संबंधित अधिकारियों के बीच समन्वय और सहयोग की कमी है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस संबंध में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा।
हालांकि मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि सरकार पहले ही कदम उठा रही है और वह इस संबंध में उन्हें स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति देना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना की भय और दहशत इस बीमारी से भी अधिक खतरनाक है।
याचिकाकर्ता ने प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को प्रकाश में लाते हुए याचिका दाखिल की है कि किस तरह शहरों से प्रवासी श्रमिकों का यह सामूहिक पलायन हो रहा है। कई राज्यों ने गांवों पर चिंता जताते हुए कहा है कि COVID -19 का प्रकोप मानवीय संकट में बदल सकता है और इससे गांवों में ये फैल सकता है।
याचिकाकर्ता ने आगे आग्रह किया था कि इस तरह की संकट की स्थिति में, अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रवासी श्रमिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है जिसके कारण तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोरोनवायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिनों की तालाबंदी की घोषणा की है। बुनियादी आवश्यकताओं की तलाश में शहरों से प्रवासी श्रमिकों के व्यापक पलायन का दावा करने वाली रिपोर्ट प्रकाश में आ रही हैं।