COVID19 : देश में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की मांंग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का तुरंंत सुनवाई करने से इनकार
याचिका में कहा गया है कि यह एक वैश्विक महामारी है जिससे जिला स्तर पर नहीं निपटा जा सकता बल्कि इससे जनता और सरकार को मिलकर लड़ना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश में वित्तीय आपात स्थिति के मद्देनजर संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत देश में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की मांग वाली याचिका को तत्काल सुनने से मना करते हुए इसे स्थगित कर दिया।
लगभग 4 मिनट तक चली सुनवाई में अदालत ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए उल्लेख किया कि "ऐसी याचिका को मौजूदा स्थिति में नहीं सुना जा सकता ।"
COVID-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए देश भर में किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत 'वित्तीय आपातकाल' घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
थिंक-टैंक सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन को CrPC की धारा 144 या आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत अधिसूचना या महामारी रोग अधिनियम 1897 के प्रावधानों के अनुसार प्रबंधित नहीं किया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि यह एक वैश्विक महामारी है जिससे जिला स्तर पर नहीं निपटा जा सकता बल्कि इससे जनता और सरकार को मिलकर लड़ना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि यह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी आपात स्थिति है और इसे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एकीकृत आदेश के अनुसार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार संबोधित किया जाना चाहिए। इसके लिए न केवल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीतना आवश्यक होगा, बल्कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी भी होगी।
याचिका में आगे कहा गया है कि पीएम द्वारा 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉक डाउन की घोषणा करने के बाद गृह मंत्रालय द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत 24.03.2020 को आदेश जारी किए गए, लेकिन विभिन्न राज्यों और पुलिस अधिकारियों द्वारा अपने तौर पर दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत कार्रवाई की जा रही है। विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा उठाए गए कदमों का विचलन अराजकता का कारण बन रहा है।
लॉकडाउन के कारण, आर्थिक गतिविधियों एक ठहराव आ गया है। वित्तमंत्री द्वारा 1.7 लाख करोड़ की घोषणा की गई है। इस वित्तीय पैकेज के बेहतर उपयोग के लिए वित्तीय आपातकाल घोषित करना होगा। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से भारत के संविधान के अनुच्छेद 360 के अनुसार देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का निर्देश देने की प्रार्थना की।