शादी को अमान्य पाए जाने पर आईपीसी की धारा 498A के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि शादी को अमान्य पाए जाने पर आईपीसी की धारा 498A के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं होगी।
इस मामले में, अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 498-A और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में ये तर्क दिया गया कि, जैसा कि पक्षों के बीच विवाह को मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से शून्य माना गया है, आईपीसी की धारा 498-A के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं होगी। शिवचरण लाल वर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2007) 15 एससीसी 369 के फैसले पर भरोसा किया गया।
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा,
"निर्विवाद रूप से, अपीलकर्ता नंबर 1 और PW-1 के बीच विवाह को अमान्य पाया गया है। इस तरह शिवचरण लाल वर्मा मामले में इस अदालत के फैसले के मद्देनजर आईपीसी की धारा 498-ए के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं होगी।“
दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत सजा के संबंध में, अदालत ने कहा कि ट्रायल जज ने एक विस्तृत तर्क के आधार पर, सबूतों की सराहना के बाद पाया है कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे मामले को साबित करने में विफल रहा है।
बेंच ने कहा,
"अपील/पुनरीक्षण में, उच्च न्यायालय बरी करने के आदेश को केवल तभी रद्द कर सकता है जब ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्ष विकृत या असंभव हो। हम ट्रायल जज द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण में किसी भी विकृति को नहीं देखते हैं। ट्रायल कोर्ट द्वारा लिया गया दृष्टिकोण भी असंभव नहीं कहा जा सकता है।"
इसलिए, अपील की अनुमति देते हुए, खंडपीठ ने अपीलकर्ताओं को बरी कर दिया।
केस
पी शिवकुमार बनाम राज्य | 2023 लाइवलॉ (SC) 116 | सीआरए 1404-1405 ऑफ 2012 | 9 फरवरी 2023 | जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ