COVID-19 पीड़ितों के परिजन मुआवजा के हकदार: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिशानिर्देश तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को COVID-19 के कारण हुई लोगों की मौत के आश्रितों को अनुग्रह सहायता के भुगतान के लिए सिफारिशें करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसरण में दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए चार सप्ताह का समय बढ़ाने की मांग करने वाली भारत सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या कोर्ट के आदेश में दिए गए अन्य निर्देशों का पालन किया गया है।
एएसजी भाटी ने इस संबंध में निर्देश लेने के लिए समय मांगा। बेंच ने समय देते हुए भारत सरकार को एक हलफनामा पेश करने के लिए कहा, जिसमें अदालत के 30 जून के फैसले के अनुसार अन्य दिशा-निर्देश जारी करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया जाना है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निम्नलिखित निर्देशों के अनुपालन के संबंध में यहां संदर्भित हलफनामा दायर किया जाना है;
• मृत्यु का सही कारण बताते हुए यानी COVID 19 के कारण मृत्यु से संबंधित मृत्यु प्रमाण पत्र/आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए सरल दिशा-निर्देश तैयार किया जाना है।
• अन्य हितधारकों और विशेषज्ञों के परामर्श से वित्त आयोग द्वारा अपनी XVवीं वित्त आयोग की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर भारत संघ द्वारा उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को व्यापक और मजबूत दिशा-निर्देशों के साथ आने में सक्षम बनाने के लिए समय की मांग करते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष वर्तमान आवेदन दायर किया।
केंद्र ने प्रस्तुत किया कि COVID-19 आपदा के पीड़ितों को अनुग्रह भुगतान के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश तैयार करने की कवायद एक सक्रिय और उन्नत चरण में है और इसे अंतिम रूप देने और लागू करने से पहले थोड़ी और गहन जांच की आवश्यकता है।
आवेदन में कहा गया है कि,
"किसी भी त्वरित फॉर्मूलेशन के परिणामस्वरूप अवांछित परिणाम हो सकते हैं।"
कोर्ट ने 30 जून 2021 कहा था कि आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से राष्ट्रीय आपदा के पीड़ितों के लिए न्यूनतम राहत की सिफारिश करने के लिए एक वैधानिक दायित्व डालती है। इस तरह की न्यूनतम राहत में धारा 12 (iii) के अनुसार अनुग्रह राशि भी शामिल है।
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गौरव कुमार बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और रीपक कंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामलों में फैसला सुनाया था।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपनी रिट याचिकाओं में केंद्र और राज्यों को उन लोगों के परिवार के सदस्यों को 4 लाख रूपये की अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी, जिन्होंने COVID-19 बीमारी के कारण दम तोड़ दिया। याचिकाकर्ताओं ने COVID के कारण जान गंवाने वाले व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया के सरलीकरण के संबंध में भी राहत मांगी।
केंद्र ने 30 जून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई छह सप्ताह की अवधि के अलावा चार सप्ताह का और समय मांगा।
केस का शीर्षक: गौरव कुमार बंसल बनाम भारत सरकार