"मुझे देखने दीजिए": अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति समाप्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सीजेआई ने कहा
भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने सोमवार को राष्ट्रपति की 2019 की उन अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का उल्लेख किया, जिनमें संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म कर दिया गया था।
नफाडे ने अगले सप्ताह सुनवाई के लिए पोस्टिंग के लिए अनुरोध किया,
"यह अनुच्छेद 370 का मामला है.. परिसीमन भी चल रहा है।"
रमना ने कहा,
"मुझे देखने दीजिए।"
नफाडे ने अनुरोध किया कि याचिकाओं को कम से कम गर्मी की छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा,
"मुझे छुट्टी के बाद देखने दीजिए। यह 5 जजों का मामला है। मुझे बेंच आदि बनानी होगी।"
उल्लेखनीय है कि 2019 में याचिकाओं को एक संविधान पीठ को भेजा गया था जिसमें जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत शामिल थे।
बेंच के सदस्यों में से एक जस्टिस सुभाष रेड्डी इस साल जनवरी में सेवानिवृत्त हुए थे। सीजेआई शायद इस तथ्य का जिक्र करते हुए कह रहे थे कि उन्हें बेंच का पुनर्गठन करना होगा।
अधिसूचनाओं के जारी होने के लगभग 5 महीने बाद, दिसंबर 2019 में 5 न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 के मामलों की सुनवाई शुरू हुई।
मामले में एक प्रारंभिक मुद्दा उठा कि प्रेम नाथ कौल और संपत प्रकाश के मामलों में सुप्रीम कोर्ट की दो समन्वय पीठों द्वारा व्यक्त की गई राय में कथित भिन्नता के आलोक में क्या इस मामले को 7-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजना चाहिए।
2 मार्च, 2020 के एक फैसले के द्वारा संविधान पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने के मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है।
याचिकाओं को 2 मार्च, 2020 के बाद सूचीबद्ध नहीं किया गया है।