COVID-19 : महामारी या आपदा को कार्यपालिका द्वारा सबसे अच्छा नियंत्रित किया जा सकता है : मुख्य न्यायाधीश बोबडे

Update: 2020-04-27 13:18 GMT

भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कोरोना को लेकर सोमवार को कहा कि इस संकट के समय सरकार के तीन अंगों को संकट से निपटने के लिए सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इससे निपटने के लिए मैन, मनी एंड मैटेरियल यानी कार्यबल, धन, सामग्री - कैसे तैनात किया जाना चाहिए, क्या प्राथमिकता हो, ये कार्यपालिका को तय करना है।

मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत इस संकट के दौरान जो कर सकती है, वो कर रही है।

महामारी या किसी भी आपदा को कार्यपालिका द्वारा सबसे अच्छा नियंत्रित किया जा सकता है। निस्संदेह कार्यपालिका को नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब ऐसा होता है तो निश्चित रूप से न्यायालय का क्षेत्राधिकार हस्तक्षेप करेगा।

जस्टिस बोबडे ने कहा कि COVID-19 से संबंधित सभी मामलों में अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

इस आरोप पर कि अदालत सरकार की लाइन पर चल रही है, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह सही नहीं है लेकिन अदालत ने, जो भी हो सकता है, वह किया है। जज फील्ड पर नहीं हैं। अदालत ने प्रवासी मज़दूरों को आश्रय, भोजन और मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान करने के लिए सरकार को निर्देश दिए हैं।

कोरोना के चलते लॉकडाउन के बारे में मुख्य न्यायाधीश ने माना कि अदालतों पर मुकदमेबाजी का दबाव कम हुआ है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में रोजाना 205 केस दर्ज हुए। लेकिन अप्रैल में केवल 305 मामले ही ई- फाइलिंग के जरिए दर्ज किए गए हैं। जस्टिस बोबडे ने कहा कि कार्रवाई नहीं होने का कारण, चोर अपराध नहीं कर रहे हैं। अपराध दर में कमी आई है और पुलिस कार्रवाई भी कम हुई है।

उन्होंने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग कार्यवाही के लिए यहां है लेकिन ये पूरी तरह से अदालतों की जगह नहीं लेगी।

गर्मियों की छुट्टियों में कटौती के बारे में मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा,

" हम आराम नहीं कर रहे हैं और हम काम कर रहे हैं और मामलों का निपटारा कर रहे हैं। हम अपने कैलेंडर के अनुसार साल में 210 दिन काम करते हैं। "

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कैलेंडर फुल कोर्ट का विषय है और ये तय करने की कोशिश है कि सुप्रीम कोर्ट 210 दिन काम करे। उन्होंने वादकारियों और वकीलों को संदेश दिया कि इस संकट की घड़ी में धैर्य रखने की जरूरत है और पूरे देश को धैर्य रखना चाहिए। 

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