मुख्य न्यायाधीश बोबडे का बड़ा कदम, देश भर में लंबित रेप मामलों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की समिति का गठन

Update: 2019-12-17 05:19 GMT

तेलंगाना में पुलिस द्वारा महिला पशुचिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के आरोपी चार लोगों की पुलिस मुठभेड़ के एक सप्ताह बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों के एक पैनल का गठन किया जो देशभर में अदालतों में लंबित यौन उत्पीड़न के मामलों की निगरानी करेगा।

मुख्य न्यायाधीश का ये कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि ये फैसला उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों के परामर्श से प्रशासनिक स्तर पर लिया है।

न्यायिक समिति, जिसमें जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह शामिल हैं, ट्रायल कोर्ट में चल रहे बलात्कार के मामलों की निगरानी करेगी और संबंधित राज्य उच्च न्यायालयों के साथ समन्वय में उनका त्वरित निस्तारण करेगी।

सूत्रों ने कहा कि यह निर्णय उस धारणा के मद्देनज़र लिया गया है कि लोग ऐसे मामलों को सुलझाने में देरी के कारण न्यायपालिका में विश्वास खो रहे हैं।

तत्काल सुधार की आवश्यकता पर दिथा था ज़ोर

कथित मुठभेड़ की हत्या पर उठी बहस के बीच मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया था कि देश की न्यायिक प्रणाली कुछ खामियों से ग्रस्त है जिनमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को अपनी स्थिति और ढिलाई के प्रति रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए और आपराधिक मामलों के निपटान में कम समय लगना चाहिए।"

फिर भी मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि असाधारण देरी न्याय वितरण प्रणाली में देरी की भरपाई नहीं कर सकती है। "मुझे नहीं लगता कि न्याय कभी भी इस तरह हो सकता है या तत्काल होना चाहिए।न्याय को कभी भी बदला लेने का रूप नहीं लेना चाहिए। मेरा मानना ​​है कि न्याय अपना चरित्र खो देता है अगर यह बदला बन जाता है," उन्होंने कहा था।

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