चंडीगढ़ के मेयर चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी
चंडीगढ़ के विवादास्पद महापौर चुनाव के निर्वाचन अधिकारी रहे अनिल मसीह ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली। मसीह मतपत्रों को अवैध बताने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।
आज मसीह की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने भारत के चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया, "मैंने माफी मांगी है जो पूरी तरह से बिना शर्त है। यह मेरा सम्मानपूर्वक निवेदन है। रोहतगी ने कहा कि मसीह उनके द्वारा दायर पहले के हलफनामे को वापस लेगा। पिछले हलफनामे में मसीह ने कहा था कि जब उन्होंने 19 फरवरी को कोर्ट के समक्ष बयान दिया था तो वह अवसाद और चिंता में थे।
कोर्ट ने मामले को आगे के विचार के लिए जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया।
फरवरी में आप नेता कुलदीप कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नाटकीय सुनवाई हुई, जिन्होंने चंडीगढ़ मेयर के रूप में भाजपा उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती दी थी। कुमार ने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ नगर निगम के भाजपा द्वारा मनोनीत सदस्य मसीह ने चुनाव के पीठासीन अधिकारी के तौर पर काम करते हुए जानबूझकर कुमार के पक्ष में पड़े आठ मतपत्रों को विरूपित किया ताकि वोट अवैध हो जाएं। कोर्ट ने चुनाव का वीडियो देखा, जिसमें मसीह आठ मतपत्रों पर निशान बनाते नजर आ रहे थे।
जब कोर्ट ने पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया, तो मसीह ने जवाब दिया कि वह उन मतपत्रों को चिह्नित कर रहा था जो पहले से ही विरूपित थे। हालांकि, मतपत्रों के भौतिक निरीक्षण के बाद, अदालत ने पाया कि मतपत्रों को विरूपित नहीं किया गया था और मसीह ने एक बेईमान बयान दिया था। मतों की दोबारा गिनती के बाद कोर्ट ने कुलदीप कुमार को मेयर घोषित कर दिया और कोर्ट के समक्ष झूठ बोलने के लिए मसीह के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी।