केंद्र ने न्यायिक स्वतंत्रता को कम नहीं आंका लेकिन विधायिका भी स्वतंत्र है, किसी को भी लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू

Update: 2023-05-03 04:06 GMT

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि न्यायपालिका के कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप पर सवाल उठाने वाले शासन के मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप पर भी सवाल उठा सकते।

मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कानून मंत्री ने जोर दिया कि न्यायिक स्वतंत्रता को अलग करके नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा कि न तो विधायिका और न ही कार्यपालिका या न्यायपालिका को अपनी संवैधानिक सीमाओं को पार करने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा,

"न्यायपालिका की स्वतंत्रता के संबंध में प्रश्न उठाया गया, क्या सरकार न्यायपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप करती है, यह प्रश्न दूसरे तरीके से भी पूछा जा सकता है, 'न्यायपालिका विधायिका के कामकाज में हस्तक्षेप करती है या नहीं।"

न्यायपालिका की स्वतंत्रता को अलगाव में नहीं देखा जा सकता। विधायिका की स्वतंत्रता भी है, क्योंकि संविधान ने सभी के लिए सीमाएं निर्धारित की हैं। किसी को भी इस लक्ष्मण रेखा (सीमा) को पार करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार देश ठीक चल रहा है।”

रिजिजू ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से सत्ता में रही सरकार ने न्यायपालिका के अधिकार या स्वतंत्रता को कम करने के लिए कुछ नहीं किया है।

हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार, विधायिका और न्यायपालिका को समय के साथ बदलना चाहिए।

उन्होंने कहा,

"जो लोग समय के साथ नहीं बदलते वे पीछे रह जाते हैं।"

उन्होंने देश भर के बार एसोसिएशनों से बार काउंसिल के साथ काम करने का आग्रह किया।

रिजिजू ने कहा कि 2047 में हमारी आजादी की शताब्दी तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने का सरकार का सपना है। लेकिन जो लोग कहते हैं कि न्यायपालिका कमजोर हो रही है वे भारतीय लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं।

उन्होंने कहा,

“हमारे सबसे बड़े दुश्मन वे हैं जो हमारे लोकतंत्र पर हमला करते हैं। ये लोग लोकतंत्र पर प्रहार करते हुए उस व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं, जिसका न्यायपालिका बहुत अहम स्तंभ है। जब कोई कहता है कि न्यायपालिका कमजोर हो रही है तो इसका मतलब है कि वह भारत के लोकतंत्र पर हमला कर रहा है। लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब न्यायपालिका मजबूत और स्वतंत्र होगी। इसमें कोई समझौता नहीं हो सकता।"

आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा,

'किसी और सरकार ने अतीत में इसे कमजोर करने की कोशिश की थी। मैं इसकी राजनीति में नहीं पड़ना चाहता। लेकिन जब उस सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की तो देश की जनता ने उनका साथ नहीं दिया। लोकतंत्र की नींव इतनी मजबूत है कि जो कोई उस नींव को हिलाने की कोशिश करेगा वह खुद ही हट जाएगा।

रिजिजू ने कहा कि वामपंथियों द्वारा नैरेटिव बनाया जा रहा है कि सरकार न्यायपालिका पर दबाव बना रही है, हालांकि यह सच नहीं है।

उन्होंने कहा,

“लेकिन लगातार यह कहना कि भारतीय न्यायपालिका कमजोर हो गई है और भारत सरकार लोकतंत्र को ध्वस्त कर रही है, विदेश जाकर सरकार द्वारा न्यायपालिका पर कब्जा करने की बात करना देश के खिलाफ बात करना है। वामपंथी और सबसे अनुदार लोगों के समूह द्वारा नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। वे नैरेटिव गढ़ रहे हैं कि सरकार न्यायपालिका पर दबाव बना रही है। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदीजी के नेतृत्व में सरकार आप सबके हित को ध्यान में रखकर सरकार चला रही है और सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता का ख्याल ही नहीं रखेगी बल्कि उसे और मजबूत करेगी।

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