'दिल्ली सरकार और एलजी के बीच हर विवाद पर सुनवाई नहीं की जा सकती': सुप्रीम कोर्ट ने DCPCR को दिल्ली हाईकोर्ट जाने को कहा

Update: 2023-12-15 14:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हर मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अनुच्छेद 32 याचिका के तहत कवर नहीं किया जा सकता।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) द्वारा केंद्र सरकार द्वारा उसके फंड को कथित तौर पर रोके जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले दिल्ली सरकार द्वारा बस मार्शल योजना के पुन: संचालन को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि वह पहले से ही संवैधानिक मामलों से निपट रही है और दिल्ली सरकार और दिल्ली के एलजी के बीच सभी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला नहीं किया जाना चाहिए।

यह दोहराते हुए कि सुप्रीम कोर्ट मुख्य रूप से व्यापक संवैधानिक मुद्दों पर निर्णय देने से चिंतित है, सीजेआई ने सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन से कहा,

“शंकरनारायणन, जो हो रहा है, वह यह है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हर तरह का विवाद 226 याचिका के रूप में यहां आ रहा है। इसे (अदालत को) कुछ व्यापक संवैधानिक मुद्दों पर विचार करना है, अब इसे हाईकोर्ट में जाना होगा। उपराज्यपाल हर दो दिन में यहां आ रहे हैं। बस मार्शल की योजना बंद कर दी गई, हमें 32 के तहत याचिका मिली है।”

शंकरनारायणन ने बताया कि आयोग दिल्ली सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।

उन्होंने व्यक्त किया,

“आप जो चाहें आचरण करें लेकिन हमारे पैसे न रोकें! प्रदेश के 60 लाख बच्चों को कैसे बताया जा सकता है कि आयोग के पास एक पैसा भी नहीं आने वाला है? … उन्होंने दिल्ली सरकार जो कुछ भी कर रही है, उसे रोक दिया है। लेकिन, मैं स्वतंत्र आयोग हूं, मुझे स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए संसद की आवश्यकता है…”

सीजेआई ने फिर से इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों को हाईकोर्ट द्वारा उचित रूप से निपटाया जाना चाहिए।

उन्होंने पूछा,

"आप दिल्ली हाईकोर्ट को क्यों दोषी ठहरा रहे हैं?"

इसके बाद न्यायालय ने आदेश पारित किया, जिसमें रजिस्ट्री को कार्यवाही को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने और अनुच्छेद 226 याचिका के समान नंबर देने का निर्देश दिया गया।

केस टाइटल: दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग बनाम उपराज्यपाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, प्रधान सचिव डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 001372/2023 के माध्यम से

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