कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रोतिक प्रकाश बनर्जी का देहांत

Update: 2020-07-03 05:27 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रोतिक प्रकाश बनर्जी का शुक्रवार सुबह हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 51 वर्ष के थे। उन्हें सितंबर 2017 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

उन्होंने 25 जनवरी, 1995 को बार में दाखिला लिया और कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।

कलकत्ता में उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता और भूतपूर्व सचिव स्वर्गीय मुकुल प्रकाश बनर्जी और दिवंगत लेखा बनर्जी, एडवोकेट के पुत्र न्यायमूर्ति बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के कलकत्ता बॉयज़ स्कूल और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लॉ से शिक्षा प्राप्त की।

बार में रहते हुए उन्होंने कई विषयों पर टिप्पणियां लिखीं, जिनमें बंगाल एक्साइज एक्ट, आवश्यक वस्तु अधिनियम, मूल पक्ष नियम और अपीलीय पक्ष नियम शामिल हैं।

वह एनयूजेएस में एक अतिथि व्याख्याता रहे और कॉन्ट्रैक्ट, कंपनी और "क्लिनिक" क्लास लेते रहे। वे "प्रोतिक दा" नाम के से, लॉओक्टोपस पर एक ब्लॉग लिखते थे।

एक न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लैंगिक समानता को बरकरार रखते हुए निर्णय दिए।

बाल देखभाल अवकाश से वंचित करने के मामले में न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा था कि "लोकतांत्रिक संवैधानिकता की प्रामाणिक मांगों के साथ पितृसत्ता असंगत है, इसकी दृढ़ता लोकतंत्र के लिए एक सतत खतरा है।"

पिछले साल, उन्होंने कानून के एक सवाल के जवाब में सनसनीखेज CBI बनाम कोलकाता पुलिस मामले में राजीव कुमार IPS को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने का आदेश पारित किया था। इसमें विधि प्रश्न था कि "क्या CBI ऐसे व्यक्ति की हिरासत में पूछताछ कर सकती है, जो अभियुक्त नहीं है?"

उन्होंने एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की वैधता के बारे में भी सवाल उठाए थे और मामले को बड़ी पीठ को भेजा था। उन्होंने इस आधार पर एक मामले की सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया कि वकील उनके 'फेसबुक मित्र' थे।

Tags:    

Similar News