ज़मानत आवेदनों को तेजी से निपटाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में ज़मानत आवेदनों के लंबे समय से लंबित रहने पर नाराज़गी जताई
कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष अगस्त 2018 में दायर ज़मानत आवेदन के लंबित रहने के मामले में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि ज़मानत के आवेदनों को तेजी और आखिरकार तत्परता से निपटाए जाने चाहिए।
हाईकोर्ट ने एक आरोपी द्वारा दायर ज़मानत अर्जी पर फैसला करने के बजाय उस पर अंतरिम आदेश जारी कर दिए। अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए उसके आवेदन की अस्वीकृति के खिलाफ दायर अपील पर विचार करते हुए न्यायामूर्ति एएम खानविलकर और न्यायामूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा,
"उक्त जमानत अर्जी को तत्परता से निपटाने के बजाय, हाईकोर्ट ने उन कारणों से, जो हमारे लिए स्पष्ट नहीं हैं, अपीलार्थी के विचाराधीन 01.10.2018 के आदेश में अंतरिम राहत देने का फैसला किया और इस दिन तक उसकी सुरक्षा को जारी रखा।"
बेंच ने आगे कहा,
" शुरुआत में, हम इस बात को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज करते हैं कि अगस्त, 2018 में जिस तरह से जमानत याचिका दायर की गई थी, वह इस दिन तक हाईकोर्ट के समक्ष लंबित रही है और ऊपर से समय-समय पर केवल अंतरिम आदेश दिए गए हैं।
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस तरह के का रास्ता अपनाना, वह भी, एक संवैधानिक न्यायालय द्वारा, पूरी तरह से अक्षम्य है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। ज़मानत या अग्रिम ज़मानत के लिए आवेदन अभियुक्त के लिए एक क्षण की बात है और इसके बाद की सुनवाई में भी जांच का पूर्वाग्रह हो सकता है और अभियोजन हितों को प्रभावित कर सकता है जो इस क्रम में समझा नहीं जा सकता।
इस तरह के आवेदन को तेजी से और आखिरकार एक तरीके से या दूसरे तरीके से निपटाया जाना चाहिए और इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। यह हमारे लिए आवश्यक नहीं है कि हम इस सवाल पर जाएं कि स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है, लेकिन साथ ही, हमें वर्तमान मामले में अपनाई गई प्रक्रिया या रवैये को भी चित्रित करना होगा। हम इस बारे में कहते हैं कि और नहीं।"
पीठ ने इसके बाद ज़मानत अर्जी को निपटाने के लिए कार्यवाही शुरू की।
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