अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 18 अक्टूबर तक पूरी होगी सुनवाई, मध्यस्थता के जरिए समझौता करने की भी अनुमति

Update: 2019-09-18 07:25 GMT

अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि 18 अक्टूबर तक मामले की सुनवाई पूरी हो जाएगी। वहीं संविधान पीठ ने पक्षकारों को एक बार फिर मध्यस्थता के जरिए समझौता करने की अनुमति दे दी है।

"इस प्रयास से जजों को फैसला लिखने के लिए मिल सकेगा 4 सप्ताह का वक़्त"

बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही CJI ने पक्षकारों को कहा कि सभी पक्षो को मिलकर संयुक्त प्रयास करना होगा कि मामले की सुनवाई और दलीलें 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाएं ताकि जजों को फैसला लिखने में 4 सप्ताह का समय मिल जाए। साथ ही पक्षकारों के वकील कोर्ट में सुझाव भी दाखिल करें कि इस मामले में राहत किस तरह दी जा सकती है।

"मध्यस्थता रह सकती है जारी; यदि समझौता हो तो उसे रखा जाए अदालत के समक्ष"

पीठ ने कहा कि उन्हें मध्यस्थता पैनल का ज्ञापन मिला है। पक्षकार चाहते हैं तो मध्यस्थता जारी रह सकती है और इसे गोपनीय ही रखा जाएगा। अगर समझौता हो जाए तो इसे अदालत के समक्ष रखा जाएगा। हालांकि पीठ ने साफ किया कि इस दौरान मामले की सुनवाई भी चलती रहेगी। दरअसल मंगलवार को ही संविधान पीठ ने पक्षकारों को अपनी दलीलें रखने की समय सीमा बताने को कहा था।

अदालत को मिला था मध्यस्थता पैनल का ज्ञापन

गौरतलब है कि सोमवार को मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ को उन पत्रों का ज्ञापन भेजा था जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा पक्षकारों ने फिर से मध्यस्थता को शुरू करने का अनुरोध किया है। पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।

जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों ने पैनल को लिखे पत्र में कहा है कि अदालत में सुनवाई जारी रहे और मध्यस्थता के लिए एक बार फिर से कोशिश की जानी चाहिए। वहीं अन्य पक्षकारों ने इसका विरोध किया है।

मध्यस्थता बंद करते हुए अदालत ने शुरू की थी मामले की सुनवाई

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 2 अगस्त को पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद मध्यस्थता को बंद कर दिया और 6 अगस्त से इस मामले में रोजाना सुनवाई का फैसला किया था। अभी तक 25 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है।

बहस पूरी होने तक रोजाना चलेगी मामले की सुनवाई

गौरतलब है कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि पैनल की रिपोर्ट हमने देखी है और मध्यस्थता सफल नहीं हो पाई है। इसलिए 6 अगस्त से तब तक रोजाना सुनवाई होगी, जब तक बहस पूरी ना हो जाए।

इससे पहले 18 जुलाई को पीठ ने पैनल के लिए 31 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए थे। पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस कलीफुल्ला की अगुवाई वाले मध्यस्थता पैनल को 1 सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पहुँचा था सुप्रीम कोर्ट

दरअसल SC में अपीलों का समूह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्ष 2010 के फैसले के खिलाफ है, जिसमें यह फैसला सुनाया गया था कि अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को 3 भागों में विभाजित किया जाए, जिसमें 1/3 हिस्से में राम लला या शिशु राम के लिए हिंदू सभा द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाना है, इस्लामिक सुन्नी वक्फ बोर्ड में 1/3 और शेष 1/3 हिस्सा हिंदू धार्मिक संप्रदाय निर्मोही अखाड़ा को दिया जाए।  

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