दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता का स्वतः समाप्त होना असंवैधानिक: एलएसई प्रोफेसर की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Update: 2023-10-10 11:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संवैधानिक विद्वान और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पब्लिक लॉ चेयर प्रोफेसर तरूणभ खेतान की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

प्रोफेसर खेतान ने नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी है, जिसके तहत दूसरी नागरिकता प्राप्त करने पर, भारतीय नागरिकता को स्वचालित रूप से समाप्त कर दिया जाता है।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने खेतान की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए इसे अन्य जुड़े मामलों के साथ टैग कर दिया।

खेतान ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(1), धारा 4(1 के दूसरे प्रावधान), और धारा 4(1ए) की संवैधानिकता को चुनौती दी है क्योंकि इन प्रावधानों के परिणामस्वरूप किसी अन्य नागरिकता को स्वीकार करने पर भारतीय नागरिकता की अनैच्छिक और स्वचालित समाप्ति होती है।

याचिका में कहा गया है, 

"नागरिकता की अनैच्छिक समाप्ति न केवल असंवैधानिक है, यह भारतीय संवैधानिक लोकाचार के मूल्यों के खिलाफ भी है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती है। इस तरह की समाप्ति से "अधिकार रखने के अधिकार" का अनैच्छिक हनन होता है जो निर्वासन के समान है। और, इस प्रकार यह किसी गैर-आपराधिक कार्य के लिए किसी व्यक्ति पर कानून के सबसे कठोर परिणामों में से एक हो सकता है"।

याचिका में कहा गया है कि यह भारत को कुछ सबसे असहिष्णु देशों में रखता है, जहां नागरिकता का नुकसान स्वचालित और अनैच्छिक है।

याचिकाकर्ता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह दोहरी नागरिकता की सामान्य मान्यता की मांग नहीं कर रहा है। याचिका में विवादित प्रावधानों के तहत नागरिकता की अनैच्छिक समाप्ति को चुनौती दी गई है, क्योंकि यह व्यक्तियों को उनके जन्म के देश और उनके निवास के देश के बीच चयन करने के लिए मजबूर करता है।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि ओवरसीज स‌ीटिजन ऑफ इंडिया कार्ड होल्डर का दर्जा दिया जाना, जिसके लिए वह अपनी भारतीय नागरिकता समाप्त होने के बाद पात्र हो जाएंगे, नागरिकता के जर‌िए प्राप्त लाभों के बराबर नहीं है।

याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया है कि हालांकि वह 2013 से ब्रिटिश नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए पात्र है, लेकिन उसने इसके लिए आवेदन नहीं किया, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी। ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त करने पर नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9 के तहत उनकी नागरिकता अनैच्छिक रूप से समाप्त हो जाएगी। अधिनियम की धारा 4(1) और धारा 4(1)ए के तहत, उनके भावी बच्चों को वंश के आधार भारतीय नागरिकता और जन्म के आधार पर और वंश के आधार पर भी ब्रिटिश नागरिकता के बीच चयन करना होगा। याचिकाकर्ता की पत्नी ब्रिटिश नागरिक हैं।

केस टाइटल: तरूणाभ खेतान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया WP(C) नंबर 1074/2023

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