[सजा में छूट पर आवेदन] सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य को पहले के आदेश का पालन न करने के लिए फटकार लगाई; हलफनामा मांगा

Update: 2023-04-27 08:01 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में न्यायालय के पहले के आदेश का पालन नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य को फटकार लगाई। उक्त आदेश में सजा में छूट की मांग करने वाले दोषी के आवेदन पर विचार करने और आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली पीठ ने 7 फरवरी के न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई और उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख सचिव (कारागार) राजेश कुमार सिंह को सोमवार को सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने के लिए कहा।

इस खंडपीठ में जस्टिस राजेश बिंदल भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि वह यह समझाने में असमर्थ है कि राज्य सरकार नोटिस जारी होने के बाद भी पालन इसका क्यों नहीं कर रही; और 7 फरवरी का अनुपालन क्यों नहीं किया गया।

सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार ने 21 अप्रैल के आदेश की प्रति का विवरण देते हुए अपने नवीनतम हलफनामे में खंडपीठ को अवगत कराया, जिसमें याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश कैदी रिहाई पर परिवीक्षा अधिनियम, 1938 की धारा 2 के तहत परिवीक्षा पर रिहा करने का आदेश दिया गया। जैसा कि याचिकाकर्ता ने अनुमति देने की प्रार्थना की थी।

खंडपीठ ने कहा,

"अगर इस अदालत के 7 फरवरी, 2023 के आदेश का पालन किया गया होता तो याचिकाकर्ता को फरवरी, 2023 में ही रिहा किया जा सकता था। 21 अप्रैल, 2023 के आदेश की रिकॉर्ड कॉपी लेकर हम रिट याचिका का निस्तारण कर रहे हैं।

बेंच यहीं नहीं रुकी। इसने सिंह को चार पहलुओं की व्याख्या करते हुए हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया:

1. 7 फरवरी के आदेश के अनुसार नोटिस की तामील पूरी होने के बावजूद इस न्यायालय के समक्ष राज्य का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं किया गया।

2. राज्य ने 7 फरवरी के आदेश का पालन क्यों नहीं किया।

3. 21 अप्रैल, 2023 के आदेश जारी करने में राज्य की ओर से देरी क्यों हो रही है।

हलफनामे की सामग्री को देखने के लिए अदालत ने मामले को 8 मई को सूचीबद्ध किया।

केस टाइटल: बाबू खान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | रिट याचिका (याचिकाएं) (आपराधिक) नंबर 34/2023

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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