अमीश देवगन : सूफी संत पर टिप्पणी पर एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को अधूरा मानते हुए उस पर सुनवाई स्थगित कर दी।
इस मामले में अगली सुनवाई अब 5 अगस्त को होगी।
जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने एक सप्ताह के भीतर सभी पक्षकारों सेे जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें वास्तविक शिकायतकर्ता भी शामिल हैं।
देवगन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने वाले पक्षों में से एक ने कोर्ट आने से इनकार कर दिया और बेंच ने कहा कि उक्त रिस्पॉन्डेन्ट द्वारा सर्विस से इनकार करने पर एक तरफा कार्यवाही की जाएगी।
"14.07.2020 की ऑफिस रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवादी नंबर 7 ने सर्विस लेने से इनकार कर दिया है। उस स्थिति में यदि रिस्पॉन्डेन्ट नंबर आने वाली तारीखों पर उपस्थित नहीं हुआ तो एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।"
इसके अलावा, एक अन्य शिकायतकर्ता, जिसे व्हाट्सएप के साथ-साथ स्पीड पोस्ट के माध्यम से सूचना दी गई थी, बेंच के सामने पेश नहीं हुआ।
इसके प्रकाश में, न्यायालय ने उल्लेख किया कि यह
"अच्छी सेवा के रूप में भी माना जा सकता है और प्रतिवादी नंबर 8 यदि वह भविष्य की तारीखों में उपस्थित होने में विफल रहता है तो मामले में एक पक्षीय कार्यवाही करते हुए आगे बढ़ाया जा सकता है।"
26 जून को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर अपनी टिप्पणी के बाद न्यूज 18 एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर पर जांच और इन एफआईआर पर कठोर कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने प्रस्तुत किया था कि उनके मुवक्किल ने अपने शो के दौरान "अनजाने में त्रुटि" की थी जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी मांगी थी। पत्रकार के खिलाफ "जुबान फिसलने" के कारण एफआईआर द
लूथरा ने कहा था,
"अगर ऐसा होने लगे, जहां लोगों को जुबान फिसलने के कारण समस्या से सामना करना पड़े तो क्या होगा? लोग गलती करते हैं। उन्होंने भी माफी मांगी है।"
उन्होंने कहा कि अमीश के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और अगर एफआईआर के सिलसिले में उन्हें देश भर में अलग-अलग जगहों पर पेश होने के लिए कहा जाता है, तो यह उनके लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करेगा।
महाराष्ट्र के दो शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील रिजवान मर्चेंट ने कहा कि देवगन ने अपने शो के दौरान एक बार से ज्यादा "लुटेरा चिश्ती" शब्द का इस्तेमाल किया।
बैकग्राउंड
अमीश के खिलाफ शिकायतों और देश भर में एक के बाद एक एफआईआर दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर पर रोक लगाने और उन्हें खारिज करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी।
15 जून को अपने शो 'आर पार' पर पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में पीआईएल के बारे में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें "हमलावर" और "लुटेरा" कहकर बुलाया था। इसके बाद, एंकर के खिलाफ देश भर में कई पुलिस शिकायतों और एफआईआर दर्ज की गईं।
अधिवक्ता विवेक जैन की ओर से याचिका दायर की गई और अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज उन एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC)की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना ) 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ाना), धारा 505 (सार्वजनिक दुराचरण के लिए बयान देना) और 34 (सामान्य अभिप्राय में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत अमीश देवगन के खिलाफ आरोप लगाया गया।
अमीश देवगन ने सूफी संत को "लुटेरा" के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी मांगी थी और इसे "अनजाने में हुई गलती कहा था।