सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में बार काउंसिल की स्थापना की मांग को लेकर याचिका दायर
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के एडवोकेट ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बार काउंसिल की स्थापना के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
याचिका में तर्क दिया गया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पूरी कानूनी बिरादरी के पास कोई स्थापित सरकारी निकाय नहीं है जहां वे खुद को नामांकित कर सकें और भारत के अन्य राज्यों की तुलना में बार काउंसिल का लाभ उठा सकें।
याचिका में कहा गया,
"यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वर्तमान में कानूनी बिरादरी के सदस्य जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की सदस्यता लेते हैं और उनकी सभी शिकायतों को उपरोक्त बार एसोसिएशन द्वारा निपटाया जाता है, लेकिन "दरबार मूव" की प्रणाली के कारण सदस्य कानूनी बिरादरी को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण उनके लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में प्रैक्टिस करना मुश्किल हो जाता है।"
यह तर्क देते हुए कि राज्य काउंसिल की अनुपलब्धता के कारण एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के लिए प्रॉक्सिमिटी कार्ड के लिए आवेदन करने से वंचित हैं।
याचिका में एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के एडवोकेट मेंबर्स को प्रॉक्सिमिटी कार्ड जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की है, जो प्रॉक्सिमिटी कार्ड का लाभ उठाना चाहते हैं।
एडवोकेट सुप्रिया पंडिता ने अपनी याचिका में आगे कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 6 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि उसने जम्मू-कश्मीर राज्य बार काउंसिल नियमों को मंजूरी दे दी है, लेकिन इसके बावजूद, बीसीआई ने स्टेट बार काउंसिल की स्थापना के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
याचिका एओआर ओम प्रकाश परिहार के जरिए दायर की गई है।
केस टाइटल: सुप्रिया पंडिता बनाम भारत संघ और अन्य | 2022 की डायरी नंबर 17380