सुप्रीम कोर्ट में पहली बार एक साथ नौ नए जजों ने शपथ ली; एक रिक्त पद के साथ कोर्ट की कार्य शक्ति 33 जजों तक बढ़ी

Update: 2021-08-31 06:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट में आज (मंगलवार) पहली बार एक साथ नौ नए जजों ने शपथ ली। साथ ही, यह भारत के इतिहास में पहली बार है कि एक बार में तीन महिला न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने न्यायाधीशों को शपथ दिलाई।

नए न्यायाधीश हैं (वरिष्ठता के क्रम में):

1. न्यायमूर्ति ए.एस. ओका

न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। उनका मूल उच्च न्यायालय बॉम्बे है। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 25 मई, 2025 तक है।



2. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ को गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। उनका मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय है।


3. न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी

न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी को सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। इससे पहले वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उनका मूल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 29 जून, 2026 तक रहेगा।



4. जस्टिस हिमा कोहली

न्यायमूर्ति हिमा कोहली को तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। उनका मूल दिल्ली उच्च न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 2 सितंबर, 2024 तक रहेगा।



5. न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना को कर्नाटक उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया है। वह 2027 में भारत की मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत की अपनी पहली महिला मुख्य न्यायाधीश का लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा।



6. जस्टिस सीटी रविकुमार

न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार केरल उच्च न्यायालय से पदोन्नत हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रविकुमार का कार्यकाल 6 जनवरी 2025 तक रहेगा।



7. न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश

न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश को मद्रास उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया है। उन्हें 31.03.2009 को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 29.03.2011 को मद्रास उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 21 जुलाई, 2027 तक रहेगा।



8. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी को गुजरात उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया है। वह गुजरात उच्च न्यायालय से पदोन्नत होने वाली पहली महिला न्यायाधीश हैं। वह वर्तमान में न्यायिक सेवा पृष्ठभूमि से आने वाली सर्वोच्च न्यायालय की एकमात्र न्यायाधीश हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 10 जून, 2025 तक रहेगा।



9. पी.एस. नरसिम्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता

जस्टिस पीएस नरसिम्हा बार से सीधे पदोन्नत किया गया है। एक नामित वरिष्ठ अधिवक्ता, उन्होंने मई 2014 से दिसंबर 2018 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया है। वह इतालवी मरीन मामले, आपराधिक मानहानि की संवैधानिक वैधता, न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित एनजेएसी मामले से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में सरकार की ओर से पेश हो चुके हैं। उन्हें पहले सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के प्रशासन से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया था। वह अयोध्या मामले में कुछ पक्षकारों के लिए भी पेश हुए थे।

वरिष्ठता के अनुसार, नरसिम्हा 30 अक्टूबर, 2027 से मई 2028 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर काबिज होने की कतार में हैं।



करीब दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियां

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव शामिल थे। इन्होंने 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए उपर्युक्त नौ नामों की सिफारिश की थी।

राष्ट्रपति ने 26 अगस्त को सभी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए नियुक्तियों को अधिसूचित किया।

सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति हुई थी। सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में 34 की स्वीकृत संख्या में से 24 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा था। इन नौ नियुक्तियों के साथ कोर्ट की कार्य शक्ति 33 न्यायाधीशों तक बढ़ जाएगी। इसके बाद एक पद रिक्त रह जाएगा।



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