2020 Bengaluru Riots मामले में दो को जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल से ज़्यादा की हिरासत और ट्रायल में देरी का दिया हवाला

Update: 2025-10-08 15:16 GMT


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 2020 के बेंगलुरु दंगों के मामले में दो आरोपियों कदीम उर्फ़ सदाम और ज़िया उर रहमा उर्फ़ ज़िया को ज़मानत दी। यह ज़मानत उन्हें पांच साल से ज़्यादा की कैद और 138 आरोपियों से जुड़े मुकदमे में 254 गवाहों की गवाही अभी बाकी होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए दी गई।

जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया था।

अपीलकर्ता पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143, 147, 148, 353, 333, 332, 436, 427 और 149 के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UPAA) की धारा 16, 18 और 20, तथा संपत्ति विनाश एवं क्षति निवारण अधिनियम, 1981 की धारा 2 के तहत आरोप लगाए गए।

इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने की थी।

दोनों पक्षकारों को सुनने के बाद खंडपीठ ने पाया कि आरोपी पांच साल से ज़्यादा समय से हिरासत में है और मामले में 254 गवाहों से पूछताछ होनी बाकी है।

अदालत ने कहा,

"हमने तय किए गए आरोपों का अवलोकन किया। अपीलकर्ता पांच साल से ज़्यादा समय से जेल में हैं। 254 गवाहों से पूछताछ होनी है। अपीलकर्ता 138 आरोपियों में से दो हैं।"

इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि उसे "आलोचना आदेश को रद्द करने और अपीलकर्ताओं को ज़मानत देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।"

तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन ज़मानत प्रदान कर दी।

फरवरी में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने अन्य अभियुक्त को ज़मानत देने से इनकार किया था। साथ ही उक्त पीठ ने मुकदमे की शुरुआत में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की और राज्य को UAPA अपराधों की सुनवाई के लिए अतिरिक्त एनआईए अदालतें स्थापित करने का निर्देश दिया।

Case : Kareem @ Sadam v State by National Investigation Agency and connected matter

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