मेडिकल दाखिलों में मराठा समुदाय के लिए SEBC कोटा पर अध्यादेश लाने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की कैविएट

Update: 2019-05-22 06:06 GMT

इस वर्ष पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मराठा समुदाय के लिए कोटा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए अध्यादेश लाने के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट याचिका दाखिल की है।

"राज्य का पक्ष भी सुना जाए"

मंगलवार को दाखिल इस याचिका में राज्य सरकार ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई आदेश जारी करता है तो राज्य का पक्ष भी सुना जाना चाहिए।

20 मई को राज्यपाल ने किए अध्यादेश पर हस्ताक्षर

गौरतलब है कि सोमवार 20 मई को ही महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) आरक्षण कानून, 2018 के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए थे। राज्य सरकार को लगता है कि इस अध्यादेश को अदालत में चुनौती दी जाएगी।

राज्य की याचिका को सुप्रीम कोर्ट कर चुका है खारिज

9 मई को महाराष्ट्र सरकार की इस वर्ष पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में मराठा समुदाय के लिए कोटा पर रोक लगाने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एम. आर. शाह की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि समानता का अधिकार उन छात्रों का भी है जो राज्यों में मेडिकल दाखिलो के इच्छुक हैं।

इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए योग्य डॉक्टरों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह कहा था,

"27.3.2019 को प्रकाशित संशोधित आरक्षण सीट मैट्रिक्स अनिर्दिष्ट है, क्योंकि यह SEBC उम्मीदवारों की श्रेणी के लिए एक प्रावधान बनाता है जिसके अवैध होने के नाते, वर्तमान प्रवेश प्रक्रिया में SEBC आरक्षण के सीमित उद्देश्य के लिए प्रभाव नहीं दिया जाएगा।"

बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला और तर्क

जस्टिस एस. बी. शुकरे और जस्टिस पी. वी. गणेदीवाला की पीठ ने यह फैसला सुनाया था कि राज्य सरकार की अधिसूचना 8 मार्च, 2019 के तहत स्वास्थ्य विज्ञान के पाठ्यक्रमों में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों के कोटे को पीजी डेंटल और मेडिकल प्रवेश के लिए लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि NEET के लिए पंजीकरण प्रक्रिया वर्ष 2018 में 16 अक्टूबर और 2 नवंबर को शुरू हुई थी जबकि मराठा समुदाय के लिए 16% आरक्षण शुरू करने वाले SEBC अधिनियम को 30 नवंबर, 2018 को लागू किया गया था।

इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने सभी निजी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त कॉलेजों पर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 16% कोटा देने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था।

यह कोटा इंस्टीट्यूट कोटा और एनआरआई कोटा सहित सभी सीटों पर होना था। जबकि, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी), विमुक्त जातियों (वीजे), घुमंतू जनजातियों (एनटी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए अन्य आरक्षणों की गणना 50% के तहत की जाती है वो भी एनआरआई और संस्थान कोटा हटाने के बाद उपलब्ध कोटा में। याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया था कि यह भेदभावपूर्ण है।

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