सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में वकील नेदूम्परा को तीन महीने की सजा सुनाई, अंडरटेकिंग पर सजा निलंबित, एक साल के लिए SC में प्रैक्टिस पर रोक
जस्टिस आर. एफ़. नरीमन और जस्टिस विनीत सरन की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बुधवार को वकील मैथ्यूज नेदुम्परा को 3 महीने के कारावास की सजा सुनाई जो तब तक निलंबित रहेगी जब तक कि वह अपने द्वारा किये गए वादे का पालन करते रहेंगे कि वे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज पर टिप्पणी करने का प्रयास नहीं करेंगे।
उन्हें 1 साल की अवधि के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से भी रोक दिया गया है।
पीठ ने मैथ्यू नेदुम्परा के साथ बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर अदालत के सामने एक नई अवमानना का नोटिस भी लिया है, जिसमें कथित रूप से जस्टिस नरीमन को निशाना बनाने वाली सामग्री थी। पीठ ने चीफ जस्टिस से इस मुद्दे से निपटने के लिए नई पीठ गठित करने का अनुरोध किया है।
बुधवार को नेदुम्परा के वकील ने पीठ को बदलने की मांग की और कहा कि आरोप तय किए बिना सजा की सुनवाई नहीं की जा सकती लेकिन पीठ इन दलीलों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुई।
"यह पहली बार नहीं है कि इस विशेष वकील ने इस अदालत के न्यायाधीशों का अपमान करने का प्रयास किया है," पीठ ने वकील मैथ्यूज नेदुम्परा को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन नेशनल कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल ट्रांसपेरंसी एंड रिफॉर्म्स की इस प्रथा को समाप्त करने याचिका को भी खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान नेदुम्परा के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी जिसमें वरिष्ठ वकील फली एस. नरीमन का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया था कि सिर्फ जजों के बेटे और बेटियों को वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया गया।
याचिका में आगे यह भी मांग की गई थी कि जब तक उक्त प्रणाली को समाप्त नहीं किया जाता तब तक जो वकील 62 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं या जो 35 वर्ष से प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्हें वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया जाना चाहिए। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के मामले में किया था।