सुप्रीम कोर्ट ने राजाजी टाइगर रिज़र्व के भीतर उतराखंड सरकार की सड़क के निर्माण को बंद किया, MoEF की अनुमति लेने को कहा

Update: 2019-07-31 06:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बीच एक गलियारे से गुजरने वाली सड़क के निर्माण को बंद करते हुए उत्तराखंड सरकार को सड़क के कार्य आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया है।

सरकार को लेनी होगी MoEF से मंजूरी

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए राज्य को सड़क के लिए केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEF) से उपयुक्त एवं उचित अनुमति लेने को कहा है।

याचिका में की गयी मांग

दरअसल शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बीच गलियारे से गुजरने वाले लालढांग-चिल्लरखाल रोड पर सड़क, पुल और पुलिया के निर्माण पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

"सरकार MoEF से संपर्क करने हेतु स्वतंत्र"

सोमवार को पीठ ने यह कहा कि राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपेक्षित अनुमति प्राप्त करने के लिए कानून के अनुसार MoEF से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है।

वकील ए. डी. एन. राव ने मामले में शीर्ष अदालत को यह बताया कि अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट दायर की है। राज्य सरकार ने पहले अदालत को बताया था कि सड़क के चौड़ीकरण का "एक इंच भी" का नहीं किया जाएगा।

सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने नाराजगी जताई कि राज्य के वकील द्वारा किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी से निर्देश प्राप्त कर दिए गए बयान के बावजूद, कुछ बड़े कार्य स्पष्ट रूप से किए गए थे। राज्य के वकील ने पीठ को यह बताया कि सड़क का कोई नया चौड़ीकरण नहीं किया गया है। पीठ ने यह कहा, "जब सरकार का एक वरिष्ठ अधिकारी अदालत में बयान दे रहा है तो उसे पता होना चाहिए कि वह क्या कह रहा है।"

सीईसी ने पहले पीठ को यह बताया था कि वन क्षेत्र में सड़क निर्माण की अनुमति देने की राज्य कार्रवाई वन (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। सीईसी के वकील ने समिति की पिछली रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह कहा था कि सड़क राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में आती है और निर्माण की अनुमति देते समय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सलाह नहीं ली गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी निर्माण कार्य पर रोक

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून को राज्य सरकार के किसी भी सड़क आदि के निर्माण पर रोक लगा दी थी। पीठ ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार और उसकी एजेंसियों को नोटिस जारी किया था जिसमें निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने राज्य के लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा उत्तराखंड में राजाजी टाइगर रिजर्व में लालढांग- चिल्लरखाल के बीच बनाई जा रही 11.5 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी।

CEC की रिपोर्ट ने बताया कि सरकार रही अनुमोदन लेने में विफल

19 जून को सीईसी ने एक रिपोर्ट अदालत में दाखिल की थी जिसमें समिति ने यह कहा था कि राज्य सरकार राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बीच गलियारे से गुजरने वाली सड़क के निर्माण के लिए आवश्यक अनुमोदन लेने में विफल रही है। जिस क्षेत्र में सड़क का निर्माण किया जा रहा है वहां प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 4 बाघ रहते हैं। वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता रोहित चौधरी द्वारा अवैध सड़क निर्माण कार्य को सीईसी और अदालत के ध्यान में लाया गया था।

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने आदेश दिया था, "केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दायर सीईसी रिपोर्ट (अंतरिम) नंबर .16 / 2019, रिपोर्ट के अवलोकन पर, प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि उत्तराखंड राज्य लालढांग- चिल्लरखाल रोड का निर्माण कर रहा है, जो राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बीच गलियारे से गुजरती है। यह स्पष्ट है कि इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सलाह नहीं ली गई है और नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ की स्थायी समिति से अनुमति भी नहीं ली गई है। इस मामले में वन संरक्षण अधिनियम के कई उल्लंघन प्रतीत होते हैं इसलिए सड़क के आगे के निर्माण कार्य को रोक दिया जाना चाहिए।"

Tags:    

Similar News