मतदान और मतगणना के बीच की अवधि में EVM की सुरक्षा हो : सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दाखिल एक याचिका में यह कहा गया है कि 17वीं लोकसभा चुनाव में मतदान और मतगणना की तारीखों के बीच एक लंबा अंतराल है, जिससे मतदान के बाद की अवधि के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका बढ़ गई है।
इस याचिका में 14 अप्रैल को विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया रिपोर्ट के बाद ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आशंकाओं के आधार पर चुनाव आयोग की निष्पक्षता के बारे में "जमीनी हकीकत" पर सवाल उठाया गया है।
इस याचिका में 66 पूर्व नौकरशाहों और पूर्व राजनयिकों द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए एक पत्र की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित किया गया है, जिसमें चुनाव आयोग की निष्पक्ष कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया गया है।
तमिलनाडु एनल अंबेडकर लॉ एसोसिएशन के अध्यक्ष एम. श्रीनिवासन द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में 11 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान ने ईवीएम की पुख्ता कार्यप्रणाली और उनके प्रभावी कामकाज के बारे में आम जनता के मन में व्यापक रूप से संदेह पैदा किया है।
याचिका में कहा गया है, "जो याचिकाकर्ता की इस आशंका को बढ़ाता है, वह है मतदान तिथि और मतगणना तिथि के बीच की लंबे समय की उपलब्धता। उदाहरण के लिए, पहले चरण के मतदान और मतगणना की तारीखों के बीच दिनों की संख्या लगभग 40 दिन है। दूसरे चरण के मतदान की तारीख और गिनती की तारीख के बीच का अंतर लगभग 35 दिनों के आसपास है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में कुल 7 चरण हैं। याचिका में कहा गया है कि मतदान की अवधि के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस दौरान उन्हें छेड़छाड़ से बचाने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश जारी देना आवश्यक है।