मलेशियाई मूल की महिला के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कि उसने COVID फैलाया; झारखंड HC ने सरकारी कर्मचारी की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज की
झारखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार (09 सितंबर) को एक सरकारी कर्मचारी को अग्रिम जमानत के लाभ से वंचित कर दिया, जिसने एक मलेशियन महिला की तस्वीर के साथ उसके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हुए (कि वह कोरोनावायरस फैलाने की जिम्मेदार है) फेसबुक पोस्ट अपलोड किया था।
दरअसल, न्यायमूर्ति रोंगन मुखोपाध्याय की पीठ एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने झरिया पी.एस. 2020 का केस नंबर 84 के समबन्ध में अग्रिम जमानत की अर्जी अदालत में दाखिल की थी।
कथित रूप से, उक्त पोस्ट को एक व्हाट्सएप समूह में प्रसारित किया गया था, जो एक विशेष समुदाय को लक्षित करने वाली टिप्पणियों को प्रेरित कर रहा था। एक जांच की गई और यह पता चला कि व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया।
न्यायालय ने देखा,
"याचिकाकर्ता एक सरकारी कर्मचारी है और उसने अपने व्हाट्सएप समूह में फेसबुक के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए थे जिसने टिप्पणियों को प्रेरित किया और उससे सांप्रदायिकता भड़क सकती थी।"
कोर्ट ने आगे जोर दिया,
"याचिकाकर्ता एक सरकारी कर्मचारी है इस तथ्य के मद्देनजर सभी आरोप अधिक गंभीर हो जाते हैं।"
न्यायालय ने यह भी देखा कि ऐसी परिस्थितियां याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने के विचार के लिए हकदार नहीं हैं। इसी के साथ उसका आवेदन खारिज कर दिया गया।
गौरतलब है कि अप्रैल 2020 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अबुज़र अब्दुल कलाम के 42 साल के एक व्यक्ति को एड-अंतरिम राहत दी थी, जिसने तब्लीगी जमात के सदस्यों पर उसके साथ मारपीट करने और फिर सोशल मीडिया पर उस पर थूकने का आरोप लगाया था।
उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए और कई अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इसके अलावा, अप्रैल 2020 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रकोप से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए एक सलाह जारी की थी।
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